shabd-logo

जमीन की तलाश

25 जनवरी 2024

33 बार देखा गया 33


article-image

ऑफिस की सीढ़ी चढ़ते समय बगल की टूटी सीट पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर गई।चेहरे के भाव बता रहे थे कि सज्जन काफी हताश और दुखी थे। मैने कोई खास गौर नहीं किया क्योंकि आज इस ऑफिस में मेरा पहला दिन था। अगले दिन फिर सुबह आते समय वही नजारा।

ऑफिस की सीढ़ी चढ़ते समय बगल की टूटी सीट पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर गई।चेहरे के भाव बता रहे थे कि सज्जन काफी हताश और दुखी थे। मैने कोई खास गौर नहीं किया क्योंकि आज इस ऑफिस में मेरा पहला दिन था। अगले दिन फिर सुबह आते समय वही नजारा।ऑफिस की सीढ़ी चढ़ते समय बगल की टूटी सीट पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर गई।चेहरे के भाव बता रहे थे कि सज्जन काफी हताश और दुखी थे। मैने कोई खास गौर नहीं किया क्योंकि आज इस ऑफिस में मेरा पहला दिन था। अगले दिन फिर सुबह आते समय वही नजारा।

क्रम से चार पांच दिन मैंने उस सज्जन को वहां बैठे देखा,रहा नहीं गया तो सिक्युरिटी वाले से उनके बारे में पूछा तो पता लगा कि ये सज्जन किसी जमाने में इस कार्यालय के उच्च अधिकारी हुआ करते थे। यूपीएससी से सीधे चयनित होकर आए थे, आईएएस नहीं थे,कोई अन्य पद था।

बेचारा सिक्युरिटी वाला उनका पद नहीं बता सका।

आगे बताया कि बड़े तेज तर्रार थे।किसी की सुनते नहीं थे, अहंकार बहुत था तिसपर चमचों में घिर गये थे।तू तड़ाक से ही बात करते चाहे किसी से भी करें।बड़ा रौब झाड़ते थे। कार्मिकों की छोटी मोटी गलती पर उनका वेतन काट देना,ज्ञापन देना आम बात थी।समय से कोई भी फाइल क्लियर न करना और यदि वह किसी का कोई बिल हो तब तो और भी देरी करना इनका शौक था। लगभग सभी त्रस्त थे।

आज इनके बच्चे बड़े पदों पर हैं,कहीं दूर रहते हैं।पत्नी भी स्वर्ग सिधार चुकी है। पेंशन के कागजात में कुछ कमी रह गई थी जिसके कारण चार वर्ष बाद भी ठीक ठाक पेंशन नहीं मिल रहा है।उसी में सुधार करवाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

सेवानिवृत्त के बाद के कुछ दिन तो रौब झाड़कर सुधार का प्रयास किया था पर उस रौब के आतंक में फिर से थोड़ी सी भूल हो गई। जबतक जान पाते, इनके साथ के अधिकारी गण कहीं और स्थानांतरित हो चुके थे। चमचे तो चमचे ही होते हैं,पद से उतरे नहीं कि दूसरे कड़छी में जा पड़ते हैं। उनकी सीट पर उनके जैसे भाव वाला ही एक अधिकारी बैठा है जिसे इन्होंने ही प्रशिक्षित किया था।

14
रचनाएँ
तांक-झांक
5.0
रोज के भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय बचाकर हास्य, विनोद और सेवाकार्य में लगे लोगों के बारे में उनकी बाते और उनसे बातें
1

बचपन की गप्पें

23 सितम्बर 2021
5
4
4

<p>हर किसी का बचपन बड़ा निराला होता है । मेरा भी कुछ ऐसा ही था । पिताजी और अपनी नौकरी पर चले जाते थे

2

नागमणी

23 सितम्बर 2021
2
2
2

<p>क्या आपने कभी नागमणी देखा है, या फिर इस बात में यकीन रखते हैं कि नागमणी का कोई<br> अस्तित्व भी हो

3

ठग अनोखेलाल

23 सितम्बर 2021
1
2
1

<p>बात पिछले साल की है । मैं छुट्टियाँ बिताने के लिए कोलकत्ता गया हुआ था । मेरे भाई के म

4

और भूत भाग गया

23 सितम्बर 2021
1
2
1

<p> जुमानी की माँ बहुत दुखी थी,पति कैंसर से मर गए। एक बेटा और बेटी सर्प दंश से काल कलवित हो गए।

5

कारगिल युद्ध की कभी न भूलने वाली वो यादें

23 सितम्बर 2021
3
2
1

<p>पुरानी यादों की आलमारी से कुछ चीजें निकाल रहा था कि भारतीय वायु सेना में सेवा काल के दौरान की कुछ

6

और भूत भाग गया ….

27 सितम्बर 2021
2
2
1

<p> तब बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा था । रमेश बड़ा ही होनहार था । उसकी मेघा केवल स्कूली शिक्ष

7

किसकी जीत?

16 जनवरी 2022
1
0
0

आकाश का जन्मदिन था। सोचा बाजार से उसके लिये कुछ नये कपड़े लेता आऊँ। काफी दिनों के लॉकडाउन के बाद दो चार दिन से बाजार खुलने लगे थे। कुछ कपड़े पसंद किया,दुकानदार से कीमत पूछी। दुकानदार ने जो कीमत बताई वह

8

ऐसा भी होता है - साइबर युग का चमत्कार 1

23 जनवरी 2022
0
0
0

शाम को मेरे मोबाइल में एक ओटीपी आया। यह ओटीपी कोविन वेबसाइट पर टीकाकरण के पंजीकरण से संबंधित था। आबि मैं सोच ही रह था कि कुछ देर बाद बाद दूसरा संदेश आया Dear Meera, Congratulations! You have successf

9

#जिजीविषा

27 जनवरी 2022
4
2
1

भारत की कई ऐसी सरकारी कम्पनियाँ हैं जो सरकारी से निजीकरण और निजीकरण के बाद विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। इनमें से एक नाम bsnl का भी है। भारत का शायद की ऐसा कोई प्रौढ़ नागरिक होगा जिसने bsml की सेवा न दे

10

#जिजीविषा

27 जनवरी 2022
0
0
0

भारत की कई ऐसी सरकारी कम्पनियाँ हैं जो सरकारी से निजीकरण और निजीकरण के बाद विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। इनमें से एक नाम bsnl का भी है। भारत का शायद की ऐसा कोई प्रौढ़ नागरिक होगा जिसने bsml की सेवा न दे

11

अभिवादन

4 मार्च 2022
1
0
0

अक्सर हम अभिवादन के रूप में अंग्रेजी के गुड मॉर्निंग आदि का अनूदित रूप सुप्रभात, शुभ संध्या आदि कहते हैं।कहीं न कहीं मुझे लगता है कि इस अनूदित रूप का प्रयोग भाषा और अनुवाद की दृष्टि से तो गलत है कि हि

12

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अवधी भाषा का योगदान

4 मार्च 2022
1
1
0

पंचतत्वों में से भोजन,वायु,जल एवं परिवेश का मनुष्य जीवन जितना प्रभाव पड़ता है उससे कहीं अधिक प्रभाव साहित्य का पड़ता है। पहली नजर में साहित्य को मनोरंजन या फिर  कुछ सीमित वर्ग के लोगों के जीवन मे समय बि

13

जब मैं पिटते-पिटते बचा

16 अक्टूबर 2022
0
0
0

   मेरे बुद्धि दांत का नंबर 6(molar tooth) पिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एकमेरे बुद्धि दांत का नंबर 6(molar tooth) पिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एक मेरे बुद्ध

14

जमीन की तलाश

25 जनवरी 2024
1
0
0

ऑफिस की सीढ़ी चढ़ते समय बगल की टूटी सीट पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर गई।चेहरे के भाव बता रहे थे कि सज्जन काफी हताश और दुखी थे। मैने कोई खास गौर नहीं किया क्योंकि आज इस ऑफिस में मेरा पहला दिन था

---

किताब पढ़िए