क्या आपने कभी नागमणी देखा है, या फिर इस बात में यकीन रखते हैं कि नागमणी का कोई
अस्तित्व भी होता होगा? यूँ तो नागमणी के विषय में मैने बहुत सारी चर्चाएं सुना है।अधिकतर ज्ञानी लोगों ने यही
कहा कि नागमणी जैसी कोई चीज नहीं होती पर वहीं दूसरी ओर लोक कथाएं एवं दंत कथाएं ऐसी कहानियों से भरी हुई हैं जिनमें नागमणी क बारे मे जिक्र आ ही जाता है।बॉलीवुड की फिल्मों को देखें तो ऐसी फिल्मों की भरमार सी लगी हुई है।अब पता नहीं नागमणी होता भी है या नहीं पर लोगों से पूछें तो अधिकांश लोग इसे तथ्य ही मानते हैं।यह घटना मुझे मेरे एक मित्र की पत्नी ने सुनाया।हमलोग बैठे 'नगीना' देख रहे थे।फिल्म के दौरान ही बात कुछ यूं शुरू हुई ,मैडम ने बताना शुरू किया ।
एक बार रात का समय था।माताजी गांव में थीं।पिताजी किसी काम से बाहर निकले हुए थे।उनको देखने के लिए माताजी छत से उतरकर नीचे मुख्य द्वार की ओर जाने लगीं।मुख्य द्वार के पास ही एक कमरे में जानवरों के लिए भूसा तथा बेकार की चीजें पड़ी रहती थीं।दरवाजा खुला था।खुला दरवाजा देखकर माताज्ी बड़बड़ाते हुए उसे बंद करने के लिए बढ़ीं।तभी उनकी नजर जमीन पर पड़े एक चमकती चीज पर पड़ी।छोटा सा टुकड़ा था पर उसमें से एक अनोखी सी रोशनी निकल रही थी।माताजी कुछ समझ नहीं पाईं कि क्या है 'वो'।उन्होंने उसे हाथों में उठा लिया।पूरा कमरा जैसे रोशन हो गया हो।कहीं हाथों से छूटकर गिर न जाए इसलिए उसे उन्होंने अपने आंचल में लपेट लिया।
अरे! यह क्या?रोशनी अब भी निकल रही थी और वो भी आंचल को जैसे चीरकर रोशन करने को उतारू हो रही थी।तब तक बाहर से पिताजी की आवाज आई।पिताजी बाहर से आ गए थे तथा माताजी को पुकार रहे थे।पिताजी को शायद जल्दी थी।माताजी हड़बड़ाहट में उसे पास ही के एक बक्से पर रख कर पिताजी को सुनने के लिए आगे बढ़ीं।जैसे ही उस वस्तु को बक्से पर रखा कही से तीर की तरह सनसनाता हुआ एक विशाल सांप आया, उस वस्तु को निगला और वापस मुड़कर कही निकल गया।विशाल सर्प को देखकर माताजी की घिग्घी बंध गई।जहां थीं वहीं जड़ बनकर रह गईं।आवाज देने के बाद भी जब माताजी की ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो पिताजी ने कमरे में प्रवेश किया।माताजी को जड़ अवस्था में देखकर उन्होंने हिलाया और पूछा कि माजरा क्या है।माताजी ने सारा किस्सा बयान किया।अब तो घर में जैसे भूचाल आ गई।सभी सांप को ढूंढने निकल पड़े कि कहीं किसी घर में कहीं रह गया तो किसी को काट ना ले।पूरा घर देख लिया गया पर 'वो' नहीं मिला। थोड़ा आश्वस्त होने के बाद माताजी ने घरवालों को यह वाकया बताया।तब मैं कक्षा सातवीं में पढ़ती थी।लोगों ने माताजी को तरह तरह से कहना शुरू किया।निचोड़ यह था कि हाथ आया हुआ भाग्य आज हाथ से निकल गया।यदि वो मणी माताजी ने संभालकर छुपा दिया होता तो आज हमारे घर की दशा कुछ और ही होती पर भाग्य को शायद कुछ और ही मंजूर था। मन के किसी कोने में आज भी यह कसक है कि आया हुआ धन का मार्ग वापस चला गया।यदा कदा वह सर्प घर के आसपास घूमता हुआ दिखा तो जरूर पर नागमणी का कुछ भी पता नहीं चला।