shabd-logo

बचपन की गप्पें

23 सितम्बर 2021

60 बार देखा गया 60

हर किसी का बचपन बड़ा निराला होता है । मेरा भी कुछ ऐसा ही था । पिताजी और अपनी नौकरी पर चले जाते थे । बस समय निकाल कर मटरगश्ती करने निकाल पड़ता था । जैसे मैं निकलता वैसे ही मेरे कुछ और मित्र भी आ  मिलते थे । उन दिनों कुछ दस ग्यारह वर्ष की उम्र रही होगी । जहाँ बैठते एक नई कहानी शुरू हो जाती। मैं उसमें श्रोता बनकर ही रह जाता क्योंकि अधिकांश कहानियाँ केवल कोरी गप्पें होती थीं। और गप्पें मारना अबतक मैं सीख नहीं पाया था । हर कहानी की शुरुआत के लिए कोई न कोई मसला चाहिए था । मसला कुछ विशेष नहीं था । 

हम मंदिर के पास वाले तालाब के पास बैठे हुए थे । तालाब का पानी बाहर निकाला जा रहा था । तालाब की तलहटी में जो थोड़ा बहुत पानी बच गया था उसमें जान बचाने के लिए मछलियाँ इधर उधर भाग रही थीं। उनको पकड़ने के लिए बच्चे भी उनके पीछे पीछे । इस खेल कूद में जमीन के अंदर एक बड़ा सा छेद दिखा । एक लड़का उस छेद में हाथ डालता है और एक बड़ी सी रोहू मछली पकड़ कर बाहर निकलता है । मछली हाथ में लेकर इतना खुश था जैसे उसे राज सिंहासन मिल गया हो । उसके हाथ में पकड़ी मछली देखकर हमारे साथ बैठे मेरे एक मित्र को कहानी बताने का सूत्र मिल ही गया और फिर शुरू हो गई एक नई कहानी ।

बताने लगे - 

मेरे गाँव में भी ऐसा ही एक तालाब था । तालाब क्या एक नहर के बहते हुए पानी को रोककर तालाब बना दिया गया था । उसमें भी खूब मछलियाँ थीं। एक दिन गाँव का एक लड़का उन मचलिएओन को पकड़ने के लिए एक छेद में हाथ डालता है । उस छेद में मछली की जगह एक साँप बैठा होता है । उस साँप ने उस लड़के के बाएँ हाथ की चर अंगुलियाँ काट ली। बच्चे को दर्द हुआ और उसने जैसे ही हाथ बाहर निकाला, चर अंगुलियाँ गायब देखकर उसके तो जैसे होश ही उड़ गए । अंगुली खूनए से अधिक उसे पिताजी की मार का दर सताने लगा । उसे ऐसा लगा कि अंगुली न देखकर पिताजी बहुत मारेंगे । 

मार न पड़े इसके लिए कुछ उपाय तो करना था । उसने भी एक उपाय सोच लिया । उसी तालाब की मिट्टी से उसने खूब सुंदर सुंदर अंगुलियाँ बनाई और जो अंगुलियाँ कट गईं थीं उनकी जगह उसने मिट्टी की अंगुलियाँ लगा ली और अपने घर चला गया । 

हम सब उसके इस तर्कसंगत कहानी के आगे नात मस्तक थे । बचपन में तर्क की शक्ति कहाँ होती है वह भी जब हम उम्रों के साथ  हों तो । 

आगे हम कुछ पूछते कि पीछे से दादाजी की आवाज आई । दादाजी की मार न पड़े इसलिए हमने चुपके से घर की राह पकड़ी । अब सोचते हैं कि मित्र कभी मिले तो इस कहानी के बाद की बातएओन पूछूँगा पर मित्र भी प्रवासी हो गए हैं । 

 

 



Jyoti

Jyoti

हाहा मजेदार

11 दिसम्बर 2021

बिनय कुमार शुक्ल

बिनय कुमार शुक्ल

16 जनवरी 2022

पसंद करने के लिये आभार।

आंचल सोनी 'हिया'

आंचल सोनी 'हिया'

यादें ताज़ी हो गयी....😊💐👌

23 सितम्बर 2021

बिनय कुमार शुक्ल

बिनय कुमार शुक्ल

16 जनवरी 2022

आभार

14
रचनाएँ
तांक-झांक
5.0
रोज के भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय बचाकर हास्य, विनोद और सेवाकार्य में लगे लोगों के बारे में उनकी बाते और उनसे बातें
1

बचपन की गप्पें

23 सितम्बर 2021
5
4
4

<p>हर किसी का बचपन बड़ा निराला होता है । मेरा भी कुछ ऐसा ही था । पिताजी और अपनी नौकरी पर चले जाते थे

2

नागमणी

23 सितम्बर 2021
2
2
2

<p>क्या आपने कभी नागमणी देखा है, या फिर इस बात में यकीन रखते हैं कि नागमणी का कोई<br> अस्तित्व भी हो

3

ठग अनोखेलाल

23 सितम्बर 2021
1
2
1

<p>बात पिछले साल की है । मैं छुट्टियाँ बिताने के लिए कोलकत्ता गया हुआ था । मेरे भाई के म

4

और भूत भाग गया

23 सितम्बर 2021
1
2
1

<p> जुमानी की माँ बहुत दुखी थी,पति कैंसर से मर गए। एक बेटा और बेटी सर्प दंश से काल कलवित हो गए।

5

कारगिल युद्ध की कभी न भूलने वाली वो यादें

23 सितम्बर 2021
3
2
1

<p>पुरानी यादों की आलमारी से कुछ चीजें निकाल रहा था कि भारतीय वायु सेना में सेवा काल के दौरान की कुछ

6

और भूत भाग गया ….

27 सितम्बर 2021
2
2
1

<p> तब बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा था । रमेश बड़ा ही होनहार था । उसकी मेघा केवल स्कूली शिक्ष

7

किसकी जीत?

16 जनवरी 2022
1
0
0

आकाश का जन्मदिन था। सोचा बाजार से उसके लिये कुछ नये कपड़े लेता आऊँ। काफी दिनों के लॉकडाउन के बाद दो चार दिन से बाजार खुलने लगे थे। कुछ कपड़े पसंद किया,दुकानदार से कीमत पूछी। दुकानदार ने जो कीमत बताई वह

8

ऐसा भी होता है - साइबर युग का चमत्कार 1

23 जनवरी 2022
0
0
0

शाम को मेरे मोबाइल में एक ओटीपी आया। यह ओटीपी कोविन वेबसाइट पर टीकाकरण के पंजीकरण से संबंधित था। आबि मैं सोच ही रह था कि कुछ देर बाद बाद दूसरा संदेश आया Dear Meera, Congratulations! You have successf

9

#जिजीविषा

27 जनवरी 2022
4
2
1

भारत की कई ऐसी सरकारी कम्पनियाँ हैं जो सरकारी से निजीकरण और निजीकरण के बाद विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। इनमें से एक नाम bsnl का भी है। भारत का शायद की ऐसा कोई प्रौढ़ नागरिक होगा जिसने bsml की सेवा न दे

10

#जिजीविषा

27 जनवरी 2022
0
0
0

भारत की कई ऐसी सरकारी कम्पनियाँ हैं जो सरकारी से निजीकरण और निजीकरण के बाद विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं। इनमें से एक नाम bsnl का भी है। भारत का शायद की ऐसा कोई प्रौढ़ नागरिक होगा जिसने bsml की सेवा न दे

11

अभिवादन

4 मार्च 2022
1
0
0

अक्सर हम अभिवादन के रूप में अंग्रेजी के गुड मॉर्निंग आदि का अनूदित रूप सुप्रभात, शुभ संध्या आदि कहते हैं।कहीं न कहीं मुझे लगता है कि इस अनूदित रूप का प्रयोग भाषा और अनुवाद की दृष्टि से तो गलत है कि हि

12

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अवधी भाषा का योगदान

4 मार्च 2022
1
1
0

पंचतत्वों में से भोजन,वायु,जल एवं परिवेश का मनुष्य जीवन जितना प्रभाव पड़ता है उससे कहीं अधिक प्रभाव साहित्य का पड़ता है। पहली नजर में साहित्य को मनोरंजन या फिर  कुछ सीमित वर्ग के लोगों के जीवन मे समय बि

13

जब मैं पिटते-पिटते बचा

16 अक्टूबर 2022
0
0
0

   मेरे बुद्धि दांत का नंबर 6(molar tooth) पिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एकमेरे बुद्धि दांत का नंबर 6(molar tooth) पिछले कई वर्षों से एकपिछले कई वर्षों से एक मेरे बुद्ध

14

जमीन की तलाश

25 जनवरी 2024
1
0
0

ऑफिस की सीढ़ी चढ़ते समय बगल की टूटी सीट पर बैठे एक वृद्ध व्यक्ति पर नजर गई।चेहरे के भाव बता रहे थे कि सज्जन काफी हताश और दुखी थे। मैने कोई खास गौर नहीं किया क्योंकि आज इस ऑफिस में मेरा पहला दिन था

---

किताब पढ़िए