एक बार एक विघालय में अध्यापक अपने विधार्थियो को एक कहानी सुना रहे थे...।
प्यारे बच्चों आज मैं तुम्हें एक ऐसी कहानी सुना रहा हूँ... जो आज के जीवन की सच्चाई को बयां करता हैं...।
एक समय की बात हैं... एक पानी का जहाज... बीच समुंदर में अचानक बिगड़ गया...। उसमें मौजूद सभी यात्रियों को छोटी नाव से सुरक्षित निकाला जाने लगा...। उस जहाज में एक जोड़ा भी था..। जब उनका नंबर आया तो बचाव नाव में सिर्फ एक ही शख्स के लिए जगह थीं...। जहाज के कप्तान ने कहा आप दोनों में से किसी एक को ही बचाया जा सकता हैं... क्योंकि कुछ ही मिनटों में ये जहाज डुब जाएगा...।
दोनों पति पत्नी ने एक दूसरे को देखा... तभी पुरुष ने बचाव नाव में छलांग लगा ली...।
उसके जातें ही स्त्री जोर से चिल्लाई.. और कुछ बोली...।
अच्छा बच्चों अब तुम बताओ उस औरत ने अपने पति से क्या कहा होगा..। लगभग हर विधार्थी ने एक ही बात बोली :- महोदय उसने कहा होगा.... आइ हेट यू.... मैं तुमसे नफरत करतीं हूँ...।
मास्टर जी मुस्कुराए ओर कक्षा में आखिरी बैंच पर बैठे एक बच्चे से कहा :- क्या बात हैं बेटा तुम खामोश क्यूँ हो... कुछ कहना हैं.. तुम्हें..!
बच्चा बोला :- महोदय मुझे लगता हैं उस औरत ने कहा होगा... अपने बच्चें का ख्याल रखना...।
मास्टर जी आश्चर्य से :- वाह.... बिल्कुल सही कहा तुमने... क्या तुमने ये कहानी सुन रखी हैं..!
बच्चा :- नहीं महोदय... लेकिन मेरी माँ जब बिमारी मे मरने वाली थीं तब उन्होंने मेरे पिताजी से ऐसा ही कहा था...।
मास्टर :- ओहह... वैसे तुम बिल्कुल सही हो...।
मास्टर ने कहानी वापस शुरू की.... उस औरत ने चिल्ला कर अपने पति से ये ही कहा.... बच्चे का ध्यान रखना...। कुछ देर बाद ही जहाज डूब गया और वो औरत डूबकर मर गई....।
वो आदमी नाव से बच गया और सीधे अपने बच्चे के पास गया...। जो की अपनी नानी के घर रहा हुआ था....। उसने अपना पूरा जीवन उस बच्चे की परवरिश में गुजार दिया...। कई बार लोगों ने उसे जली कटी भी सुनाई की अपनी बीवी को मरने के लिए छोड़ दिया... लेकिन उसने कभी किसी को कोई सफाई नही दी...। लोगों की बातें सुन सुनकर कई बार उसे उसका बच्चा भी खरी खोटी सुना देता था...। लेकिन उस शख्स ने कभी किसी को कुछ नहीं बोला...। दिन... महीने... साल गुजर गए...। कुछ सालों बाद वो शख्स भी मर गया...। लेकिन मरने से पहले उसने अपने बच्चें को अच्छी शिक्षा और अच्छी परवरिश दी... साथ ही बहुत सारा धन भी उसके लिए छोड़ कर गया था...।
एक रोज़ उसका बच्चा घर की साफ सफाई कर रहा था....। तभी उसके हाथों में एक डायरी लगी...। उसने डायरी के पन्ने पलटे तो आखिरी पन्ने पर लिखा था...।
मुझे माफ़ करना.... लेकिन उस वक्त मुझे ये निर्णय लेना ही था...। क्योंकि ये बात सिर्फ़ तुम और मैं ही जानते थे की तुम वैसे भी कुछ दिनों की मेहमान थीं...। तुम्हारी बिमारी का कोई इलाज नहीं था..। अपने बच्चें की खातिर उस वक्त मेरा जिंदा रहना जरुरी था...। अगर वो उस वक्त हमारी जिंदगी में नहीं होता तो मैं भी तुम्हारें साथ उसी जहाज में डूब जाता...। मुझे पता हैं एक तुम ही हो जो मुझे सही समझतीं हो... फिर भी मैं तुमसे माफी मांगता हूँ...। तुम जहाँ भी हो... मेरा इंतजार करना.... मैं सभी जिम्मेदारी पूरी कर जल्द आऊंगा.... हमेशा के लिए तुम्हारे पास...।
बच्चें ने जब ये पढ़ा तो उसकी आँखों में आंसू बहने लगे...। वो खुद भी अपने पिता से अक्सर नाराज़ रहता था...। बिना सच जानें...। क्योंकि सच कभी उसके पिता ने किसी से कहा ही नहीं था....।
मास्टर जी के इतना कहते ही पूरी कक्षा में सन्नाटा छा गया...। सब अपनी सोच पर विचार करने लगे...।
कुछ देर की खामोशी के बाद मास्टर जी बोले :- आजकल के जीवन की यहीं सच्चाई हैं... हम कई बार बिना कुछ जाने... बिना कुछ समझे... किसी के लिए भी गलत धारणा बना लेते हैं...। जबकि सच्चाई कुछ ओर ही होतीं हैं...। आंखों देखी और कानों सुनी बात भी गलत हो सकती हैं...।
* कलह होने पर कोई अगर तुरंत माफी मांग ले तो जरूरी नहीं की उसकी गलती हो...। हो सकता हैं वो रिश्तों को ज्यादा अहमियत देता हो....।
* दोस्तों की पार्टी में अगर कोई तुरंत पैसे निकालकर बिल चुका रहा हैं तो जरुरी नहीं वो पैसे का रोब दिखा रहा हो....। हो सकता हैं वो दोस्ती के सामने पैसे को अहमियत ना देता हो...।
* आजकल जीवन इसलिए कठिन हो रहा हैं.... क्योंकि हमने लोगों को समझना कम कर दिया हैं...। सिर्फ ऊपरी तौर पर उन्हें सलाह दे देते हैं... उन्हें judge करते हैं...।