मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !
बारम्बार नमन आपको 🙏🙏
जैसे-जैसे कथित तरक्की का ढोल, पिटा है विज्ञान ने l
आज का मानव आलसी हुआ है,अपने जीवन संग्राम में ll
फाँसी देकर मर्यादाओं को,सूली चढ़ाई संस्कार का l
स्वार्थी शान से झंडा लहराई,अब एकल परिवार का ll
मैं,मेरी बीवी और बच्चे का, जब से बुलंद हुआ है नारा l
तभी से अवसाद ने धरा पर, अपना पावन पैर पसारा ll
कच्ची सड़कें पक्की हो गईं,गाड़ियों की है लम्बी कतार l
कच्चे घर भी पक्के हो गए,झेल रहे प्रदुषण का मार ll
शरबत,सत्तू,चना,गुड़,दही-मठ्ठा की हुई विदाई l
चाय,कॉफ़ी,कोक,पेप्सी,हर दिल दिमाग में छाई ll
प्रेम वासना का बना साधन,झोंके आँख में धूल l
संगीत भी कनफ़ोड़वा गावे,ऊलूल-जुलूल-फिजूल ll
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अंजनी कुमार आज़ाद,आरा,पटना,बिहार