मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !
बारम्बार नमन आपको 🙏🙏
जहरीले रसायन खेतों में डाल रहे हैं हम !
तात्कालिक पैदावार बढ़ा ले रहे हैं हम !!
प्रतिदिन धरती को बाँझ बना रहे हैं हम !
और प्राकृतिक आपदा भी बता रहे हैं हम !!
वनों-जंगलों को निरंतर काट रहे हैं हम !
हरियाली को दिनरात चाट रहे हैं हम !!
भयानक गर्मी और वर्षा से त्रस्त होकर,
प्राकृतिक आपदा कह हाँफ रहे हैं हम !!
नशीली इच्छाओं के दम अद्भुत काम कर रहे हैं हम !
कार्बन उत्सर्जन में बहुत बड़ा नाम कर रहे हैं हम !!
जल और वायु को निरंतर जहरीला बना रहे हैं हम,
प्राकृतिक आपदा कह उसे बदनाम कर रहे हैं हम !!
नदी-नालों-जलाशयों को प्रदूषित कर रहे हैं हम !
आहरों-तालाबों को अतिक्रमित कर रहे हैं हम !!
बाढ़-सुखाड़ को निमंत्रण दे रहे हैं प्रतिदिन
और प्राकृतिक आपदा कह दुखित हो रहे हैं हम !!
हमारे जैसा कोई ज्ञानी नहीं है !
हमारे जैसा कोई ध्यानी नहीं है !!
पत्थर पिघला मोम बना रहे हैं हम
हमारे ज्ञान का कोई सानी नहीं है !!
इसलिए
दोषारोपण करने में सिद्धहस्त हैं हम !
मिन-मेख निकालने में ज्येष्ठ हैं हम !!
अच्छे परिणामों का श्रेय ले लेते हैं हम !
और बुरे परिणामों के लिए ?
प्रकृति को भी नहीं बख्शते हैं हम !!
वाह रे हम !!
🙏🙏😀🙏🙏
:-अंजनी कुमार आज़ाद,
आरा,पटना,बिहार