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अधुरापन

21 अक्टूबर 2021

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आखिर क्या है ये अधुरापन
         प्रेम हासिल ना होना
         या रिश्तों में प्रेम ना होना
         एक होकर साथ ना रहना
         या साथ होकर एक ना रहना
आखिर क्या है ये अधुरापन
         लबो की बात बाहर ना आना
         बाहर आई बात से लोगो का चुप हो जाना
         अपने एहसास किसी से कह देना
          या एहसासों को अल्फाज़ो में ना पिरो पाना
आखिर क्या है ये अधुरापन
         बिलखते लबो पर खुशी देना
         या मुस्कुराते चेहरे पर गम छिपा लेना
         उन्नति पाकर पैसा पा लेना
         या बिन पैसे ख्वाब सजा लेना
आखिर क्या है ये अधुरापन
       जो अपने पूरे होने का एहसास दिलाता है या
       किसी चीज़ के होने, ना होने का यकीन दिलाता है
       लबों पर ख्वाब सजाता है या
       नैनो के ख्वाब चुरा लेता है
सच मानो तो अधुरापन है ही नही
ये तो बस ख्वाब है जो सच होते ही नही
जिसे मिलती विरासत संघर्ष एक ख्वाब है
जिसने किया संघर्ष कहता विरासत लाजवाब है
        आखिर क्या है जज्बातो का हुनर
        सब कुछ तो पास है ना जाने फिर भी
        इन ख्वाहिशो को किसका इंतेज़ार है
खाली हाथ, भरी आंखें, मुस्कुराते लब,
सिसकती सांसे, उछलता मन, या
उम्मीदों से भरा आँचल ,कोई तो बताओ 
आखिर क्या है ये अधुरापन ।।

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रचनाएँ
अधूरे अल्फ़ाज़
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यह संकलन सिर्फ़ शब्दों का नहीं बल्कि उन सभी एहसासों का है, जो शब्दो से सजकर भी अनछुए या अनकहे रह जाते है। एहसास बहुत सुनहरे होते है, एक ही एहसास किसी को ख़ुशी तो किसी को ग़म दे जाता है।एहसासों की दुनिया पूरे होने की दहलीज़ पर खड़ी रहती हैं, जो किसी के लिए पूरे तो सामने वाले के लिए अधूरे रह जाते है।
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