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वक़्त की गाँठ

13 सितम्बर 2021

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इन रिश्तों को जरा थाम लो
ये लम्हा गुजर जाएगा
अपने अहंकार को जरा रोक लो
वक़्त अपने आप बदल जाएगा
इंतज़ार ना करो सामने वाले के लफ़्ज़ों का
खुद पलक झुकाओ सामने वाला शर्मिंदा हो जाएगा
रिश्तों की डोर बहुत नाजुक होती है
इसे जरा सा खींचा तो  टूट जाएगा
कोशिश भी करोगे अगर दुबारा जोड़ने की
तो याद रखो ये अधूरा लम्हा इक गांठ लगा जाएगा ।

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रचनाएँ
अधूरे अल्फ़ाज़
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यह संकलन सिर्फ़ शब्दों का नहीं बल्कि उन सभी एहसासों का है, जो शब्दो से सजकर भी अनछुए या अनकहे रह जाते है। एहसास बहुत सुनहरे होते है, एक ही एहसास किसी को ख़ुशी तो किसी को ग़म दे जाता है।एहसासों की दुनिया पूरे होने की दहलीज़ पर खड़ी रहती हैं, जो किसी के लिए पूरे तो सामने वाले के लिए अधूरे रह जाते है।
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प्रतीक्षा

13 सितम्बर 2021
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सिसक

20 जनवरी 2023
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नैनो की वो मझधार  जो रुक भी ना सकी और रो भी ना सकी इजहार तेरे इश्क का  तुझसे जुदा होते वक्त कर भी न सकी सिसक कर रह गई तब मेरी हर एक सांस जब तेरी झुकती पलकें भी  उन जाते लम्हे को थाम ना स

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