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अपनापन

15 नवम्बर 2021

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मतलबियों को दुनिया मे 
बेमतलब के रिश्ते ढूंढ रहा हूँ
मैं अपनो से दूर किसी
अपने को खोज रहा हूँ ।
मिलता शक्श हर कदम पर है
उनका स्वार्थ जो मुझसे जुडा है
देकर उन्हें भरोसा और ख़्वाब अपने..
खुद की ही खुशियों का सौदा कर रहा हूँ।
प्यार के नाम पर एक खास बना रहा हूँ
पूरी कर उम्मीदे उसकी
अब खुद ही अब मैं भूल रहा हूँ ।
वक़्त है सफर पर आगे बढ़ने का
मैं अपनी पहचान धूमिल कर रहा हूँ
अपनो ली तलाश में एक बार फिर
मैं  अपनेपन से ही दूर हो रहा हूँ ।
सुनता हूँ लोगो से कितना खुशकिस्मत हुँ
की खुशियों के साथ जीता हुआ सा हूँ
पर नजरे मिलाता जब अपने आप से 
तो खुद को हमेशा तन्हा पाता हूँ ।
सब है तो सही मेरे पास
फिर क्यों अपनो में खुद को बैगाना सा पाता हूँ
इन मतलबियों की दुनिया मे
क्या मैं अकेला ही बेतमलब से जीता हूँ ।

written by IG @ajain_words
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रचनाएँ
अधूरे अल्फ़ाज़
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यह संकलन सिर्फ़ शब्दों का नहीं बल्कि उन सभी एहसासों का है, जो शब्दो से सजकर भी अनछुए या अनकहे रह जाते है। एहसास बहुत सुनहरे होते है, एक ही एहसास किसी को ख़ुशी तो किसी को ग़म दे जाता है।एहसासों की दुनिया पूरे होने की दहलीज़ पर खड़ी रहती हैं, जो किसी के लिए पूरे तो सामने वाले के लिए अधूरे रह जाते है।
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