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मैंने जीना सीख लिया है ।

17 नवम्बर 2021

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हाँ ..…मैंने   जीना   सीख लिया  है
ज़िन्दगी    से   प्रेम   करना  सीख लिया  है

      अब   खुद   से   भी   प्रेम   करने  लगी  हूँ
      हाँ ...मैंने    जीना   सीख  लिया  है

अब   डरती   नहीं   वक़्त   के   थपेड़ों   से
खुद   पर   काबू   पाना   सीख   लिया   है

      कीचड़   में  भी   कमल   की   भाँति
      निर्लेप    रहना    सीख   लिया   है

बड़े   बड़े    तूफानों   में   भी   शांत   रहना  सीख लिया   है....

       गुनगुनाना   ,   गाना   भी   सीख   गई   हूँ
       क्योंकि    अब    खुद   से प्यार करने लगी हूँ

अब    सजने    सँवरने    भी    लगी  हूँ
पहले   से   अब   और   सुंदर  भी   दिखने  लगी हूँ

      खेल   है...केवल   और   केवल   मन   का
       मन    सुंदर   ...तो    तन...भी   सुंदर

फिर    तो    पूरा   जीवन  सुंदर   अति   सुंदर


स्वरचित एवं मौलिक रचना... अनीता   अरोड़ा

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