बालियाँ गयीं ..... कानों से
रोटियां गयीं....... थालियों से
तेल गायब हुआ.....बातियों से
खुशियाँ गायब हुई...…त्यौहारों से
फिर भी खुशियाँ...किसी की
मोहताज़ नहीं
बस खुश रहने ..का
बहाना ढूँढे
वो तो ...भीतर हैं...आपके
उसे कोई ...नहीं छीन सकता
स्वरचित मौलिक रचना अनीता अरोड़ा