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भाईदूज

20 नवम्बर 2021

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   हम    तीन   बहनें  ।     अपने   माता  पिता   की
तीन    बेटियाँ  ...कोई    बेटा   नहीं  ।    माता  पिता
के   द्वारा   कभी   भी   मन मे   बेटे   बेटियों को लेकर
कभी    मतभेद   नहीं   हुआ  ।    सदैव   हम    बहनों
को    बेटों    से    बढ़कर    माना   और   अपना स्नेह
उड़ेला   हमारे   ऊपर   ।

          हम    तीनों   को   ही    उच्च   शिक्षा   दिलवाई।
हमारी    इच्छाओं    को   सदैव    सर्वोपरि    रखा ।
हमने   भी    अपने   माता   पिता  को   बेटे   की कमी
का एहसास  नहीं   होने   दिया  ।   जितना   भी   बन 
पड़ा  .. अपना   सहयोग   उनको   दिया ।   हर   मुसीबत   में   ढाल    बनकर   खड़े   रहे  ।

         भाईदूज   के   दिन   हम   लोग   स्नानादि  से
निवृत्त    होकर  अपने   पापाजी  को   माथे  पर  टीका
लगाते   और   फिर   उनका  मिठाई  से  उनका  मीठा
मुँह   कराते ।    उसके   बाद  वो  हमें  पैसे  देते ।
थोड़ा   बहुत   ना ..नुकुर  करने  के बाद  रख  लेते ।
   
        जब  छोटे   थे    तो   दुःख   लगता था  आस ..पड़ोस   के   भाई   बहनों  को  देखकर  ।   जैसे जैसे
बड़े   होते   गए  वैसे  वैसे   सत्य  को  स्वीकारना  भी
आ गया  ।   मन   में   कोई  भी   मलाल  नहीं   कि  हमारा   कोई  भाई   नहीं  ।

      मेरे   पिताजी   की   पेंट  की  फैक्ट्री  थी ।  उसके
लिए   जब   बाहर   से   रॉ मटीरियल  आता  तो  उसके लिए   बिल्टी   छुड़ानी पड़ती थी  पोस्ट  आफिस से ।
मैंने    वो   सब   काम सीखे  जो  उनके काम मे आते थे
और मैंने   किये  ,.. गर्मियों  की कड़ी धूप में जा जाकर
ये उन दिनों  की बात है...जब  मेरा विवाह नही हुआ था.. मैं  पढ़ाई कर रही थी ।  बैंक  के सारे काम सीखे ।
बस  इतना  खुद को सक्षम  बना लिया कि मेरे पिताजी
 को  बेटे  की कमी  कभी भी  महसूस न हो ।
    
      हर   व्यक्ति  के  पास  सब  कुछ  नहीं  होता ।  ज़िन्दगी   से   यह सीख लिया  था  कोई न कोई कमी
हर  व्यक्ति  के जीवन मे होती है ।  उसके  लिए कभी
भी   कोई  मन  में  मलाल  न   लाएं  और  न ही  ईश्वर
को   कोसें  ।

       बस   उसी   काम   को   अपनी   ताकत  बनाएं ।
 
            क्योंकि    जीवन   ज़िंदादिली    का   ही....
दूसरा     नाम   है...😊😊

स्वरचित मौलिक रचना.. अनीता अरोड़ा



   

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