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इन आंसुओं को पलकों में ही रहने दो

16 नवम्बर 2021

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इन  आंसुओं  को  पलको में  ही रहने  दो
इन   आंसुओं  को   आँखों   मे  ही  छुपा रहने दो

         ज़माने   को   पता  चला   तो
                 हंसेगा   ज़माना..….

क्योंकि    उसे   तो   चाहिए  कोई   न   कोई   बहाना
       फिर   तो  छुपाने   का  भी कोई  न मिलेगा बहाना

             बस   ऐसे   ही    जी   लेने   दो....
              कुछ   पल   मुस्कुरा   लेने   दो.....

बस   परतों   को   परतों  के  ही  नीचे 
              दबा    रहने    दो....

न   उखाड़ो   गड़े   मुर्दों   को  ,  कब्रों    से
जी  न    जाएं    कहीं   ... मृत    शरीर   से
 
        जो   मृत   है...उन्हें   मृत   ही   रहने   दो
बस    आंसुओं   को  पलकों   में  ही रहने   दो

      बाहर   आ   जाएं   तो   मच   जाएगा   क़हर
      सामने    आ   जाएं...तो   जान   लेगा  शहर

इन   आंसुओं   को   आंखों  में ही छुपा रहने दो
बस   इनको   पलकों  में  ही  रहने  दो
 
     बस   परतो   को   परतो  में  ही  रहने  दो ।।
 
स्वरचित एवं  मौलिक रचना ..अनीता  अरोड़ा

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