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जब वक्त आए कुछ ऐसा

5 दिसम्बर 2021

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जब   वक्त   आए    कुछ   ऐसा  ,
लोग   उठाने   लगें   उंगलियां  ,
तो   शिकायत   मत करना किसी  से ,
बस   देखना  व्योम में   और  मुस्कुराना ,
           धन्यवाद   करना   उसका ,
            सफलता  की  तरफ  बढ़ता  पहला  कदम ,
जब    हंसे    दुनिया    तुम   पर ,
तो   शर्मिंदा   मत    होना   खुद   पर ,
बस   मंद   मंद   मुस्कुराना  और ,
गाते    रहना ,
            लोग  नीचा   दिखाएंगे ,   ताने   भी   कसेंगे ,
             न    रोना  ,   न   ही   आंसू  लाना ,
              अपने  कोमल   नैनों    में ,
             बस   चुपचाप    पी   जाना ,
             एक   हलाहल  को   शिव   की  भांति ,
जब   कट  जाएं    लोग    तुमसे  ,
तो    मलाल   न    लाना  अपने   हृदय  में ,
क्योंकि   कुछ   लोगों   का   बात  न ही करना बेहतर ,
              कोई   उखाड़ना   चाहे  तुम्हें   जड़  से ,
               बस    अपने   पैर   जमाए   रखना  ,
               तटस्थ   रहना    धरती    पर ,
                एक     शिला    की   भांति  ,
लोग   बिछाएंगे   कांटे राहों   में    तुम्हारी  ,
मगर   तुम   अपना  रास्ता   बदल   लेना ,
रुकना  नहीं बस  चलते  जाना  मंजिल पर अपनी ,
तुम्हें   पत्थर   भी   पड़ेंगे    मगर ...जख्मों   पर ,
मलहम  अपनी   बस   मुस्कान  के  लगाते  जाना ,
            गिराना   भी   चाहेंगे    लोग   तुम्हें ,
            सबकी   निगाहों   में  ,
            बस   तुम   अपनी   नज़रों  से   गिरना नहीं ,
            स्वयं    को    और   उठाते   जाना  ,
तुम्हें    दाग़दार   करे    भले    ही   कोई  ,
चांद    से   पूछ   लेना   उसकी   मुस्कुराहट  का  राज़ ,
दाग़    तो    तुझमें   भी   मगर   मुस्कुराता  क्यों  है ...?
           आज   वक्त    उनका   तो  कल  तुम्हारा ,
           होने     वाला    है ,
           बस    अपने   होठों   की   मुस्कान  को ,
           कभी   भी    न    छोड़ना ,
सवाल    उठेंगे    बहुत   मगर   खामोश  रहना ,
बस   मनोबल   व   आत्मविश्वास  को   अपने ,
और    बढ़ा   लेना ,
             कुछ   बातों  के  जवाब  देना जरूरी नहीं होता ,
             उन्हें   वक्त   पर   ही  छोड़  देना  चाहिए ,
             वो    खुद    ही  जवाब   दे देगा ,
जब   तुम    ऊंचाईयां  छू   रहे   होगे ,
तुम्हारा   कद   भी  ऊंचा   हो जायेगा ,
और   दुनिया   को   जवाब   मिल जायेगा ,
बस    उसी   पल   का तो   इंतज़ार   करना  है ,
           तुम्हें    तब   तक   कमल  की भांति ,
           निर्लेेप    रहना   है ,
           तुम्हें    तब    तक   कमल   की  भांति ,
           निर्लेप      रहना    है  ।।


स्वरचित मौलिक रचना
                  अनीता   अरोड़ा         


   
          

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