shabd-logo

जब वक्त आए कुछ ऐसा

5 दिसम्बर 2021

41 बार देखा गया 41

जब   वक्त   आए    कुछ   ऐसा  ,
लोग   उठाने   लगें   उंगलियां  ,
तो   शिकायत   मत करना किसी  से ,
बस   देखना  व्योम में   और  मुस्कुराना ,
           धन्यवाद   करना   उसका ,
            सफलता  की  तरफ  बढ़ता  पहला  कदम ,
जब    हंसे    दुनिया    तुम   पर ,
तो   शर्मिंदा   मत    होना   खुद   पर ,
बस   मंद   मंद   मुस्कुराना  और ,
गाते    रहना ,
            लोग  नीचा   दिखाएंगे ,   ताने   भी   कसेंगे ,
             न    रोना  ,   न   ही   आंसू  लाना ,
              अपने  कोमल   नैनों    में ,
             बस   चुपचाप    पी   जाना ,
             एक   हलाहल  को   शिव   की  भांति ,
जब   कट  जाएं    लोग    तुमसे  ,
तो    मलाल   न    लाना  अपने   हृदय  में ,
क्योंकि   कुछ   लोगों   का   बात  न ही करना बेहतर ,
              कोई   उखाड़ना   चाहे  तुम्हें   जड़  से ,
               बस    अपने   पैर   जमाए   रखना  ,
               तटस्थ   रहना    धरती    पर ,
                एक     शिला    की   भांति  ,
लोग   बिछाएंगे   कांटे राहों   में    तुम्हारी  ,
मगर   तुम   अपना  रास्ता   बदल   लेना ,
रुकना  नहीं बस  चलते  जाना  मंजिल पर अपनी ,
तुम्हें   पत्थर   भी   पड़ेंगे    मगर ...जख्मों   पर ,
मलहम  अपनी   बस   मुस्कान  के  लगाते  जाना ,
            गिराना   भी   चाहेंगे    लोग   तुम्हें ,
            सबकी   निगाहों   में  ,
            बस   तुम   अपनी   नज़रों  से   गिरना नहीं ,
            स्वयं    को    और   उठाते   जाना  ,
तुम्हें    दाग़दार   करे    भले    ही   कोई  ,
चांद    से   पूछ   लेना   उसकी   मुस्कुराहट  का  राज़ ,
दाग़    तो    तुझमें   भी   मगर   मुस्कुराता  क्यों  है ...?
           आज   वक्त    उनका   तो  कल  तुम्हारा ,
           होने     वाला    है ,
           बस    अपने   होठों   की   मुस्कान  को ,
           कभी   भी    न    छोड़ना ,
सवाल    उठेंगे    बहुत   मगर   खामोश  रहना ,
बस   मनोबल   व   आत्मविश्वास  को   अपने ,
और    बढ़ा   लेना ,
             कुछ   बातों  के  जवाब  देना जरूरी नहीं होता ,
             उन्हें   वक्त   पर   ही  छोड़  देना  चाहिए ,
             वो    खुद    ही  जवाब   दे देगा ,
जब   तुम    ऊंचाईयां  छू   रहे   होगे ,
तुम्हारा   कद   भी  ऊंचा   हो जायेगा ,
और   दुनिया   को   जवाब   मिल जायेगा ,
बस    उसी   पल   का तो   इंतज़ार   करना  है ,
           तुम्हें    तब   तक   कमल  की भांति ,
           निर्लेेप    रहना   है ,
           तुम्हें    तब    तक   कमल   की  भांति ,
           निर्लेप      रहना    है  ।।


स्वरचित मौलिक रचना
                  अनीता   अरोड़ा         


   
          

अनीता अरोड़ा की अन्य किताबें

 Dr Vasu Dev yadav

Dr Vasu Dev yadav

Bahut sundar rachna

6 दिसम्बर 2021

निक्की तिवारी

निक्की तिवारी

बहुत अच्छी कविता है आपकी

6 दिसम्बर 2021

Naveen Bhatnagar

Naveen Bhatnagar

सुंदर लिखा आपने

5 दिसम्बर 2021

1

💐 हाथों की लकीरें 💐

14 नवम्बर 2021
1
1
1

<p>हाथों की लकीरें..... पढ़ी बहुत मगर</p> <p>कर्मों

2

बच्चे मन के सच्चे

15 नवम्बर 2021
3
1
0

<div>बच्चे मन के सच्चे</div><div>लेकिन&nbs

3

इंतज़ार और उम्मीद

16 नवम्बर 2021
1
1
1

<div>इंतज़ार और उम्मीद</div><div><br></div><div>

4

इन आंसुओं को पलकों में ही रहने दो

16 नवम्बर 2021
2
1
1

<div>इन आंसुओं को पलको में ही रहने दो</div><div>इन आंसुओं&

5

मैंने जीना सीख लिया है ।

17 नवम्बर 2021
1
1
1

<div><b>हाँ ..…मैंने जीना सीख लिया है</b></div><div><b>ज़िन्दगी &

6

मौसम

18 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>मौसम बहुत खुशगवार था</div><div><br></div><div>आपका &

7

चार दिन की ज़िंदगी

19 नवम्बर 2021
1
0
0

<div> </div><div> माना चार दिन की

8

खुशियाँ

20 नवम्बर 2021
2
2
1

<div><i> </i></div><div><i><br></i></div><div><i> बालियाँ &nbsp

9

भाईदूज

20 नवम्बर 2021
2
2
1

<div> </div><div> हम तीन बहनें ।

10

रामलीला

21 नवम्बर 2021
2
1
0

<div><i> </i></div><div><i><br></i></div><div><i> मेरे घर के&nbs

11

आज भी सीता हैं ........धरती पर

21 नवम्बर 2021
2
2
1

<div><i>आज भी सीता हैं.......धरती पर &

12

मीठी यादें

22 नवम्बर 2021
2
2
1

<div><br></div><div> </div><div>मेरे घर के सामने ही एक बहुत

13

सिसकियाँ

27 नवम्बर 2021
0
0
0

<div>सिस्कियों को ऐसे ही सिसकने दो , </div><div>इनका

14

कचरा बीनने वाली लड़कियाँ

28 नवम्बर 2021
2
2
1

<div><i><br></i></div><div><i><br></i></div><div><i>किस पाप का फल भोगती ये लड़कियाँ</i></

15

लाखों दर्द सहकर

28 नवम्बर 2021
1
1
0

<div><br></div><div><br></div><div>लाखों दर्द सहकर एक कविता&nbsp

16

दहेज़

28 नवम्बर 2021
7
3
2

<div><br></div><div>लाड़ली बेचकर सौदागरों के हाथों ,</div><div>बड़ी&nbsp

17

जितने बीज बोयेंगे

28 नवम्बर 2021
3
2
1

<div>जितने बीज बोयेंगे ज्यादा</div><div>उतने ही &n

18

जितना अभाव होगा जीवन में

30 नवम्बर 2021
0
0
0

<div><br></div><div><br></div><div>जितना अभाव होगा... जीवन में</div><div>उतन

19

और मैं बुझती गई

30 नवम्बर 2021
1
1
1

<div><br></div><div>वो आग बनकर मेरे दिल को जलाते रहे

20

जब वक्त आए कुछ ऐसा

5 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div><br></div><div>जब वक्त आए कुछ ऐसा ,</div

21

जब वक्त आए कुछ ऐसा

5 दिसम्बर 2021
3
1
3

<div><br></div><div>जब वक्त आए कुछ ऐसा ,</div

22

जब वाक्युद्ध हो रहा था

6 दिसम्बर 2021
3
2
0

<div><br></div><div> </div><div>जब वाक्युद्ध हो रहा था ,</d

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए