बच्चे मन के सच्चे
लेकिन बुद्धि से बहुत ही कच्चे
न ये दुनियादारी जानें
न करें किसी से बैर
बस ये तो होते हैं... प्रेम दीवाने
छल कपट से रहें बिलकुल अनजाने
मन में इनके कोई खोट नहीं
डांट लगाओ तो लग जाए चोट बड़ी
ये जितनी जल्दी रूठे
उतनी ही जल्दी मान भी जाएं
इनके मन में कोई बैर नहीं
इनके लिए कोई गैर नहीं
इनके लिए न कोई जात , न मज़हब
बस ये तो माने एक ही जात
वो है... प्यार की फरियाद
बस वही है.. इनका जीवन
उसी से करें ... ये प्यार
क्योंकि बच्चे होते ही ऐसे हैं..
मन के सच्चे , मगर बुद्धि से बहुत ही कच्चे....... - स्वरचित एवम मौलिक अनीता अरोड़ा