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सिसकियाँ

27 नवम्बर 2021

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सिस्कियों    को  ऐसे  ही   सिसकने  दो , 
इनका   तो   काम  ही   है  सिसकना , 
         जब   दर्द   उभरे   तो  मुख  से  उजागर करना, 
 क्योंकि    ये   सिसकियां  हैं.. जनाब, 
इनका   तो   काम  ही   हैं.... सिसकना, 
         अति  दर्द   होने   पर  उजागर   होना, 
          दर्द    के    बिना   ये  कभी   न  रोये, 
दर्द   बढे  तो   ये   भी    बढ़   जाये, 
अपनी    आवाज़   सुना सुनाकर   और जोर से  रोये, 
      इन्हें   तो  बड़ा   ही  मुश्किल  है, 
       काबू    में    रखना, 
        जब  आंसू   आये  आंखों   में , 
तभी     है      इनका   आना , 
आंसुओं    के  बगैर  तो   इनका  नहीं   ठिकाना, 
     जब   कोई  सताये,  मन   दुखाये, 
      तो  इनका   आना   तय   है, 
क्योंकि    ये   सिसकियां  हैं.... जनाब , 
      बस    इन्हें    ऐसे  ही    सिसकने   दो, 
     बस   इन्हें     ऐसे   ही   रो   लेने   दो।। 

स्वरचित  मौलिक  रचना   अनीता  अरोड़ा 
           
         



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