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रामलीला

21 नवम्बर 2021

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 मेरे    घर    के   सामने   ही   एक   बहुत  बड़ा  सा ...
ग्राउंड   था...जहाँ    पर   रामलीला   होती   थी.....
हर   साल..
                उन    दिनों    हमारा   नया   घर  बन  रहा
था   और   हम    लोग   उसी   मैदान    के   सामने   ही
किराये   पर    ....एक    कमरा   लेकर   रहने  लग   गए  थे  ।    पापाजी   जॉब   करते   थे....उस   वक़्त
उनको    परेशानी   न   हो   इसलिए   कुछ दिनों के
लिए   ऑफिस   के   समीप   ही   एक   कमरा  किराये
ओर लेकर  नया  घर  बनवाने  लग गए थे ।
         
           चूँकि    पापाजी   ऑफिस   चले जाते.. मम्मी
ही   मजदूरों   से   अपने   सामने   खड़े   होकर  ही 
मकान   बनवाती  ।
             सामने   ही   ग्राउंड    था।    वहाँ   पर   रामलीला   की   तैयारियाँ   आरम्भ   हो चुकी थीं  ।
किसी  को   राम  ,   किसी  को  रावण  ..किसी   को
सीता   ...सभी   किरदारों   का   चयन   हो चुका था  ।
अब  बचा था   तो केवल   सूर्पनखा   का किरदार  ।
उसके   लिए   कोई तैयार  न था ।   मुझे कहा   गया
मैं     तुरंत   रोल  निभाने के लिए तैयार   हो गयी  ।
रामलीला   की तैयारियाँ   ज़ोर शोर से   शुरू  हो  चुकी थीं  ।    मैं   वैसे  तो बिल्कुल चुप्पी सी थी  मगर  ऎसे
क्रियाकलापों   में   मुझे   बहुत आनंद   आता था ।
         आप   लोगों   को   मेरी  बात पर  बहुत हंसी आ रही   है... हँस   लीजिये..जितना  हँसना   है...वो दिन
भी  आ गया  जिस  दिन   रामलीला  होनी थी  । प्रैक्टिस   पहले ही   हो चुकी थी  ।    
 
       शाम   को   रामलीला   होनी  थी  ।   शाम  भी हो
गयी  ।   सब   मंच पर  आए  ..अपनी   अपनी  कॉस्ट्यूम   पहनकर  ... सबने  अपना अपना  किरदार
निभाया  ।   अब   मेरा  नंबर   आया   तो   मुझे भी  वही    कॉस्ट्यूम   पहनाई गयी ...   सूर्पनखावाली  
        
         मेरी  नाक  के  आगे   काले रंग  की   छोटी सी
टोपी    सी  पहना  दी थी ..फिर  क्या था...
मुझे   नाक  को पकड़कर   नीचे की  तरफ   झटकते  हुए   ग्राउंड   के चारों  ओर   गोल गोल   चक्कर काटते
 हुए    एक्शन   के  साथ साथ  बोलते हुए  
  
हाय    कट   गई ...हाय   काट गई...बस  ऐसे  ही बोलते   बोलते  ...रावण   के   पास  जाना था ...
फिर   क्या...चक्कर   काटते  हुए  वैसे  ही किया
बोलते   हुए   ...हाय   कट  गई ...हाय   कट   गई......
 

           बस   इसी    प्रकार  मैंने    अपना किरदार निभाया ।    
  आज   भी    घर  मे...कोई   बात   छिड़ती   है  तो
सब    मुझे   छेड़ते   हैं   ....
 ये   कहकर...हाय    कट   गई ... हाय    कट    गई

बस   फिर   क्या.........मैं    मुस्कुरा पड़ती हूँ   ।

स्वरचित मौलिक रचना  अनीता अरोड़ा
.


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