आज का विषय: अलविदा बचपनएक कविता के रूप में......खिलखिलाती सी एक उम्र को जी लियाएक मुस्कराहट से हर गम को पी लियाऊँगली थाम के अब कोई चलाता नहींयह बचपन फिर लौट कर आता नहींन भूख की चिंता थी और न थी कल की
शीर्षक ----अलविदा बचपन अलविदा बचपन कैसे कह दूँये तो यादों में हर पल रहता है।बचपन का घर जहाँ रहती थी,बचपन की सारी खुशियाँ होती थी।जहाँ दादा दादी का प्यार होता था,जहाँ माँ बाबा का लाड़ होता थ
मेरा बचपन जिसको मैंने कभी भूला ही नहीं ,अपनी यादों में संजो कर रखा है ,जो मेरी सुनहरी यादों में कस्तूरी सा महकता रहता है ।हर समय यादों के झरोखों में बसने वाली मुझे बचपन याद ना आए ऐसा हो नहीं सकत
हे बचपन तेरी यादें आती है,तू था जब हम खुशनसीब थे। कितनै सौभाग्यशाली थे,जब मां बाप के करीब थे।ना द्वेष ,दंभ लेशमात्र था,निर्मल मन और दिल में प्यार था।सिर पर था पिता का हाथ, मां के आंचल का खुशी संस
आजकल के बच्चे अपने बचपन के आनंद को खो रहे हैं। ये दुनिया बदल रही है और उनके लिए नया और विभिन्न अनुभव मौजूद है, जो उन्हें अपनी समझ से पार होते हुए जीने की ज़रूरत होती है। बच्चों के लिए खेलना, उत्साह, न
मै स्कूल जा रहा हूँ। मै स्कूल जा रहा हूँ। कभी जनगण कभी वन्देमातरम गा रहा हूँ। स्वच्छता का संदेश देते क्रम से जा रहा हूँ। मै स्कूल जा रहा हूँ। मै------- अनुशासन व नैतिकता का पाठ
तारों में चाँद जैसीधूप में छाँव जैसीशहरों में गाँव जैसीमँझधार में नाव जैसीहोती है माँ...अविश्वास में विश्वास जैसीहताशा में उल्लास जैसीनिराशा में आस जैसीतिमिर में प्रकाश जैसीहोती है माँ...नुकसान में नफ
आज याद आ रहा है ना जाने मुझे क्यों वह आंगन, वह हरे भरे खेतों में दौड़ना, वह कच्चे आमों की सुगंध, वह तितलियों के संग भागना, वो करनी सहेलियों से चिढ़हन, वह भाई के साथ पंजा लड़ाना, उसके जीत जाने पर करनी
बचपन हर व्यक्ति की जिंदगी में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बचपन की शरारतें बचपन की मस्ती बचपन के दोस्त बचपन का भोलापन फिर वापस नहीं आता। बचपन को याद करना मतलब और महत्वपूर्ण पलों को याद करना जो आपकी