अरमान, तनु और रुद्र अब हवेली के उस रहस्यमय स्थान की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ आत्मा की शक्ति सबसे ज्यादा महसूस होती थी। हवेली का यह हिस्सा बाकी हिस्सों से बिलकुल अलग था—सर्द, अंधेरा और जैसे पूरी हवेली की सारी ऊर्जा यहां इकट्ठी हो गई हो। तीनों के कदम भारी थे, लेकिन रिया को बचाने की उम्मीद ने उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत दी।
"यह जगह बहुत खतरनाक है," रुद्र ने धीरे से कहा। "यहाँ वह काली शक्ति छिपी हुई है, जो इस आत्मा को जीवित रखती है। हमें इसे खत्म करना होगा, अगर हमें रिया को बचाना है।"
अरमान की आँखों में उम्मीद और डर दोनों थे। "अगर हम इसे नष्ट कर देते हैं, तो क्या रिया वापस आ जाएगी?" उसने पूछा।
"यह तुम्हारा और रिया का सवाल नहीं है," रुद्र ने गंभीरता से कहा। "यह हमारी लड़ाई है, और हमें इसे हर हाल में जीतना होगा।"
हवेली का केंद्र:
तीनों उस कमरे में पहुँच गए, जहाँ हवेली के भीतर छिपे हुए रहस्यों का असली स्रोत था। यह कमरा सर्द हवा से भरा हुआ था, और दीवारों पर पुराने चित्र झूल रहे थे। कमरे के फर्श के बीच में एक बड़ा सा तंत्र चित्र बना हुआ था , जो किसी समय इस कमरे का केंद्र बिंदु रहा होगा।
रुद्र ने ध्यान से तंत्र चित्र की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह वही जगह है। इसे ठीक से समझने के लिए हमें पहले उस किताब में लिखे संकेतों को लागू करना होगा।"
अरमान और तनु ने बारी-बारी से कमरे के आसपास की दीवारों को खंगालना शुरू किया। अचानक, तनु को एक अष्टधातु का संकेत मिला , जिस पर कुछ जादुई चिन्ह थे। "यह देखो," उसने कहा, "यह वही संकेत चिन्ह हैं, जो किताब में थे!"
अरमान और रुद्र ने भी कमरे को अच्छे से खंगाला तो दोनों को भी दो दो संकेत चिन्ह मिल गए ।
रुद्र ने पांचों संकेत चिन्ह को ध्यान से देखा और कहा, "इन्हें हमें सही तरीके से संयोजित करना होगा, ताकि हम इस आत्मा की शक्ति को नष्ट कर सकें।"
जैसे ही उन्होंने उन पांचों संकेत चिन्हों को उस किताब के अनुसार संकेतों चिन्हों को जोड़ा, कमरे में एक तेज़ आवाज़ गूंजने लगी। तो अचानक से फर्श पर बने तंत्र चित्र के पास हवा घूमने लगी, और अचानक कमरे के चारों ओर एक हल्की सी चमक दिखने लगी। अचानक, एक जादुई आकृति उभरी, जो रिया जैसी दिख रही थी, लेकिन उसकी आँखों में एक खौफनाक गहराई थी।
"तुमने मुझे हराने की कोशिश की है, लेकिन तुम मेरे जाल में फंस चुके हो," वह आकृति बोली। "मैं वही आत्मा हूँ, जिसने इस फोन के जरिए अपना कब्जा किया। तुम मुझे नहीं हरा सकते, तुम सभी मेरी शक्ति से जकड़े हुए हो।"
अरमान ने गुस्से से कहा, "तुमने मेरी बहन को मुझसे से छीन लिया है! अब मैं तुम्हें हराकर ही रहूँगा।"
तनु ने भी साहस जुटाते हुए कहा, "हम तुमसे डरने वाले नहीं हैं। तुम हमारी जिंदगी से खेल रहे हो, लेकिन अब हमारा वक्त है।"
रुद्र ने गंभीर होकर कहा, "यह आत्मा इस काले जादू के तंत्र जाल में बसी हुई है, और इस तंत्र जाल को तोड़ने के लिए हमें इसके असली रहस्य को समझना होगा।"
जैसे ही रुद्र ने शब्दों का उच्चारण किया, आत्मा की आकृति और भी भयानक होती गई। उसकी आँखों में आग की लपटें थीं और उसकी आवाज़ गूंज रही थी। "तुम सोचते हो कि तुम मुझे हरा सकते हो? तुम नहीं जानते कि मैं कितनी पुरानी और शक्तिशाली हूँ।"
रुद्र ने शांति से कहा, "तुम जितना चाहोगी, उतना नहीं पा सकोगी। तुम्हारी शक्ति इस काले जादू के तंत्र जाल में बसी हुई है, लेकिन अगर हम इसे तोड़ सकते हैं, तो तुम पूरी तरह से नष्ट हो जाओगी।"
अरमान और तनु ने रुद्र के साथ मिलकर एक आखिरी प्रयास किया। अरमान ने रुद्र के कहने पर फोन को फर्श पर बने तंत्र चित्र पर फोन को रख दिया और रुद्र ने अष्टधातु के चिन्हों में लिखे हुए संकेतों को जोर जोर से पढ़ना शुरू किया, तभी अचानक, कमरे में एक जबरदस्त ध्वनि हुई, और एक तेज़ रोशनी के झरने ने पूरे कमरे को घेर लिया।
अचानक, आत्मा की आकृति जोर जोर से चीखने चिलाने लगी और अग्नि की लपटों में बदलने लगी और देखते ही देखते गुम हो गई। उसके बाद कमरे में एक गहरी चुप्पी छा गई। सभी तीनों के चेहरे पर राहत की लकीरें दिखने लगीं।
रिया का लौटना:
एक पल के लिए सब कुछ शांत था, लेकिन फिर, उसी कमरे के कोने में रिया की बेहोश पड़ी दिखाई दी—अब वह पहले जैसी नहीं, बल्कि पूरी तरह से डरी हुई दिखाई दे रही थी। मानो उसको पता नहीं था कि वो इस हवेली में कैसे आई, और चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था। वह धीरे से बोली, "तुमने मुझे बचा लिया। तुम सबका धन्यवाद। अब मैं तुम्हारे पास हूँ।"
अरमान ने उसे गले लगाते हुए कहा, "तुम वापस आ गई हो, रिया! मैं कभी नहीं सोच सकता था कि हम तुम्हें वापस पा सकेंगे!"
तनु ने भी राहत की सांस ली और कहा, "हमने यह कर दिखाया, लेकिन अब इस जगह से बाहर चलना होगा, ताकि यह सब खत्म हो सके।"
फोन का अंत:
रुद्र ने धीरे से कहा, "अब हमें इस फोन को नष्ट करना होगा, क्योंकि यही वह जादू था जिसने इस आत्मा को जीवित रखा था।"
उन्होंने फोन को अपनी हथेली में पकड़ा और एक ज़ोर से फेंका। जैसे ही फोन दीवार से टकराया, उसमें से एक तेज़ ध्वनि सुनाई दी, और उसके बाद वह टूटकर बिखर गया।
फोन के टूटने के साथ ही हवेली में जैसे सब कुछ शांत हो गया। अब हवेली में कोई अजीब शक्ति नहीं थी, और सब कुछ सामान्य हो गया था।
रिया को वापस पाकर अरमान, तनु और रुद्र ने राहत की सांस ली। उन्होंने एक साथ मिलकर हवेली से बाहर कदम रखा।
उन्होंने भूतिया फोन से छुटकारा पा लिया था । अब चारों रुद्र के घर जाकर बातचीत्कार रहे थे।
उनका सफर तो खत्म हुआ था, लेकिन तनु के दिमाग में अब भी कुछ सवाल थे ।
इसलिए तनु ने रुद्र से पूछा "फोन कैसे श्रापित हुआ?"
रुद्र ने जवाब दिया "कहा जाता है आज से पंद्रह साल पहले एक मुसाफिर रात काटने के लिए हवेली में रुका था, और उस रात चंद्रिका की आत्मा अपनी काले जादू की क्रिया कर रही थी जिसको उस आदमी ने अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया। बस उसके बाद चंद्रिका ने उस आदमी को मार दिया और उस वीडियो के सहारे उस फोन को अपने वश में कर लिया।"
तनु ने दुबारा पूछा "तो अक्षय खन्ना"
रुद्र ने कहा "वो बेचारा ! उसने तो चार साल पहले ही उस हवेली को खरीदा था और उस फोन ने उसकी भी जान ले ली।
तनु ने एक और सवाल पूछा "तो वो फोन हवेली के बाहर कैसे आया?"
रुद्र ने मजाकिया तरीके से कहा "कोई ले आया होगा उसको। और वैसे भी कुछ लोग होते हैं जो भूतिया जगह से कुछ न कुछ अपने साथ ले आते हैं।"
रुद्र की ये बात सुनकर अरमान ने झिझकते हुए कहा " अक्षय खन्ना की वो डायरी"
कमरे में फिर से डर का माहौल बन गया।
कहानी समाप्त......