अगली सुबह, अरमान बेमन से उठा। रात भर उसे नींद नहीं आई थी। “पता नहीं ये नया फ्लैट है, फोन का वह अजीब मैसेज, या मैं ही कुछ ज्यादा सोच रहा हूं,” उसने अपने आप से कहा।
फ्लैट में बने छोटे से किचन में उसने चाय बनाई। चाय का कप लेकर वह खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया। बाहर सब कुछ शांत था, लेकिन अंदर उसका दिमाग उथल-पुथल में था। तभी तनु का फोन आया।
तनु: “कहां है तू? नया फ्लैट मिला और हमें बुलाना भी नहीं?”
अरमान: “बुला तो रहा हूं। आ जा, फ्लैट देखने और मेरी बोरियत मिटाने।”
तनु: “ठीक है, एक घंटे में पहुंचती हूं। चाय बनाकर रखना!”
तनु का फ्लैट पर आना:
तनु हमेशा की तरह खुशमिजाज और बेफिक्र दिख रही थी। उसने फ्लैट के चारों ओर नजर दौड़ाई।
“अच्छा है, लेकिन यहां थोड़ा... अजीब सा फील हो रहा है। तू भी ऐसा ही महसूस कर रहा है क्या?” तनु ने पूछा।
“अरे, रहने दे। मुझे तो रात को इस फोन ने डराया,” अरमान ने टेबल पर पड़े फोन की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“फोन ने? अब ये मत कहना कि तेरे फोन में भूत है,” तनु ने हंसते हुए कहा।
“देख, मजाक मत कर। रात को ये फोन अपने आप वाइब्रेट हुआ, और स्क्रीन पर ‘शुरुआत’ लिखा आ रहा था। कॉल या मैसेज कुछ नहीं था।”
तनु ने फोन उठाकर देखा। “शायद सॉफ़्टवेयर खराब है। तू क्यों इतना सीरियस हो रहा है?”
“शायद,” अरमान ने बेमन से कहा।
फोन की पहली असली हरकत:
तनु और अरमान बातों में व्यस्त थे कि तभी फोन की स्क्रीन अपने आप चमकने लगी। इस बार स्क्रीन पर कुछ शब्द उभरे:
"तुमने इसे क्यों लिया?"
तनु चौंक गई।
“ये क्या है, अरमान? तूने कोई अजीब एप्लीकेशन इंस्टॉल की है क्या?”
“कुछ नहीं किया, मैं तो बस इसे ऑन करके रखता हूं। देख, खुद ही कर रहा है।”
अरमान ने फोन उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने फोन पकड़ा, स्क्रीन पर उसकी अपनी तस्वीर दिखाई देने लगी।
“ये... ये कब ली?” अरमान ने डरते हुए कहा।
“तूने खींची होगी और भूल गया होगा,” तनु ने कहा, लेकिन उसकी आवाज में भी अब आत्मविश्वास की कमी थी।
अचानक कमरे की लाइट्स झपकने लगीं। तनु ने कहा, “अरमान, मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा। फोन को बंद कर और कहीं फेंक दे!”
तनु के जाने के बाद, अरमान अकेला था। उसने सोफे पर बैठे हुए फोन को दूर टेबल पर रख दिया।
“क्या सच में यह फोन अजीब है? या मैं ही सब कुछ बढ़ा-चढ़ाकर देख रहा हूं?” उसने खुद से कहा।
“लेकिन... वह तस्वीर? मैंने वह कब खींची?”
उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसने खिड़की की तरफ देखा। बाहर अंधेरा था, लेकिन खिड़की पर हल्की छाया झलक रही थी।
“क्या ये कोई इंसान है? या...?” उसने जल्दी से खिड़की बंद कर दी।
फोन फिर से वाइब्रेट हुआ। अरमान डरते हुए टेबल तक गया। स्क्रीन पर इस बार सिर्फ एक शब्द था:
"देखा।"