तनु के जाने के बाद अरमान ने फोन को एक बार फिर से उठाया। अब वह डर के साथ-साथ जिद्दी भी हो गया था। उसने फोन को ऑन किया और गैलरी खंगालने की कोशिश की। उसमें एक वीडियो था, जिसे उसने पहले नहीं देखा था।
वीडियो में एक आदमी दिखाई दे रहा था, जिसकी आवाज गंभीर थी:
“अगर आप यह देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि यह फोन अब आपके पास है। इसे संभालकर रखें। मैंने इसे इसलिए बनाया था ताकि…”
वीडियो यहीं अटक गया। अरमान ने वीडियो को फिर से चलाने की कोशिश की, लेकिन यह खराब हो चुका था।
“कौन है यह आदमी?” उसने सोचा।
पुराने डेटा की खोज:
फोन की सेटिंग्स में जाकर अरमान ने फोन की पिछली डिटेल्स खंगाली। उसमें फोन के मालिक का नाम लिखा था: “अक्षय खन्ना”।
“अक्षय खन्ना कौन है?” उसने मन ही मन सवाल किया।
फोन की गैलरी में एक पुरानी हवेली की तस्वीर थी। तस्वीर के नीचे लिखा था: "जहां से यह शुरू हुआ।"
“क्या मुझे वहां जाना चाहिए?” अरमान ने तनु को फोन करके अपनी बात बताई।
तनु की सलाह:
तनु फ्लैट पर आई और दोनों ने तस्वीर का गहराई से निरीक्षण किया।
“यह जगह जानी-पहचानी लग रही है,” तनु ने कहा।
“क्या तूने इसे कहीं देखा है?”
“शायद... यह पुरानी दिल्ली के बाहरी इलाके में हो सकती है। मुझे लगता है, हमें इसे ढूंढ़ना चाहिए।”
हवेली की ओर सफर:
अरमान और तनु ने मिलकर गूगल मैप्स और दूसरी तस्वीरों की मदद से उस हवेली का पता लगाया। यह एक पुरानी, सुनसान जगह थी। टूटी दीवारें, जंग लगे गेट, और अंदर सूनी हवाओं का सन्नाटा—सबकुछ डरावना था।
हवेली के भीतर:
जब वे हवेली के अंदर पहुंचे, तो उन्हें एक पुराना बंद कमरा दिखा। कमरे का दरवाजा जंग लगा हुआ था, लेकिन जैसे ही अरमान ने फोन की स्क्रीन पर नजर डाली, उसमें लिखा था:
"तुम्हें इसे खोलना होगा।"
कमरे के भीतर एक बक्सा रखा हुआ था। बक्सा खोलने पर पुराने कागज और एक डायरी निकली। डायरी के पहले पन्ने पर लिखा था:
“अक्षय खन्ना की आखिरी कहानी।”
जैसे ही अरमान ने डायरी के पन्ने पलटे, एक ठंडी हवा पूरे कमरे में गूंज उठी। फोन की स्क्रीन पर लिखा था:
"सच को अब छिपा नहीं सकते।"