अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रत्येक वर्ष 17 अक्टूबर को पूरे विश्वभर में मनाया जाता है| इसकी शुरुआत 11अक्टूबर 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा की गई थी| इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बात के लिए जागरूक करना है कि लड़कियों को भी समाज में उतना ही अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए जितना कि लड़कों को मिलता है| लड़कियों का भी पूरा अधिकार बनता है कि वह समाज में अपनी बात को रख सके और उन पर हो रहे किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सके| यह दिन उन लोगों को भी जागरूक करने के लिए है जो बालिकाओं को सामाजिक सीमाओं में बांध कर रखते हैं|
इतिहास - अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस दुनियाभर में संचालित, एक गैर सरकारी संगठन अंतर्राष्ट्रीय योजनाओं की परियोजनाओं का स्वरूप है| जो विश्व स्तर पर और विशेष रूप से विकासशील देशों में लड़कियों को पोषण के महत्व को मौत के बारे में जागरूकता बढ़ाया है| संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनाडा की महिला मंत्री रोना एंब्रोस 19 दिसंबर 2011 को बालिकाओं के अंतरराष्ट्रीय दिवस को औपचारिक रूप देने के लिए प्रस्ताव रखा| संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 अक्टूबर 2012 को बालिकाओं के अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव को पारित किया| प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का एक विषय होता है इसके सबसे पहले दिवस का विषय बाल विवाह को समाप्त करना था|
उद्देश्य - बालिकाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सशक्त सुरक्षित और बेहतर माहौल प्राप्त करें| उन्हें जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से अवगत होना चाहिए| उन्हें इसकी जानकारी होनी चाहिए कि उनके पास अच्छी शिक्षा पोषण और स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार है| यह बहुत जरूरी है कि विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेदभाव और शोषण को समाज से पूरी तरह से हटाया जाए| जिसका हर रोज लड़कियां अपने जीवन में सामना करती है जीवन में अपने उचित अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें बहुत अच्छे से कानून सहित घरेलू हिंसा की धारा 2009, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2009, दहेज रोकथाम एक्ट 2006 आदि से अवगत होना चाहिए| यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल विवाह और बांग्लादेश में होते है| इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है| भारत में बाल विवाह के मामलों में पहला स्थान पश्चिम बंगाल दूसरा बिहार व तीसरा स्थान झारखंड का है|
बाल विवाह होने से बालिकाओं का शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं हो पाता है| और वह अपनी जिम्मेदारियों का पूर्ण रूप से निर्वहन नहीं कर पाती है| दुनिया भर में लड़कियों के अधिकारों का जश्न मनाने और उनकी वकालत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का दिन है|