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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

15 अक्टूबर 2022

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             तमिलनाडु के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले एक बालक का यह सपना था कि वह 1 दिन पायलट बनकर आसमान की अनंत ऊंचाइयों को नापे| अपने इस सपने को साकार करने के लिए उसने समाचार पत्र तक बेचे, गरीबी में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार आर्थिक तंगी ऑन से संघर्ष करते हुए यह बालक उच्च शिक्षा हासिल कर पायलट के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में सम्मिलित हुआ| उस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी उसका चयन नहीं हो सका, क्योंकि उस परीक्षा के द्वारा केवल 8 पायलटों का चयन होना था और सफल अभ्यर्थियों की सूची में उस बालक का स्थान नौवा था| इस घटना से उसे थोड़ी निराशा हुई और उसने हार नहीं मानी| उसके दृढ़ निश्चय का ही कमाल था कि 1 दिन उसने सफल ताकि ऐसी बुलंदियां हासिल की, जिनके सामने सामान्य पायलटों की उड़ाने अत्यंत तुच्छ नजर आती है| उस व्यक्ति ने भारत को अनेक मिसाइलें प्रदान कर इसे सामरिक दृष्टि से इतना संपन्न कर दिया कि पूरी दुनिया उसे 'मिसाइल मैन' के नाम से जानने लगी| इसके बाद एक दिन ऐसा भी आया जब यह व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ| चमत्कारी प्रतिभा का धनी व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि भारत के 11 राष्ट्रपति रह चुके डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम थे, जिनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास की कथा से कम नहीं थी|
अब्दुल कलाम का जीवन परिचय -
                  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जिनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था, का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम के धनुष्कोड़ी नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था| वह अपने पिता के साथ मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हुए रास्ते में पड़ने वाले शिव मंदिर में भी माथा टेक कर अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते थे| इसी गंगा जमुना संस्कृति के बीच कलाम ने धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ा| उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने एवं घर के खर्चे में योगदान के लिए समाचार पत्र भेजने पड़ते थे|
                  इसी तरह, संघर्ष करते हुए प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल से प्राप्त करने के बाद उन्होंने रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हाई स्कूल से मैट्रिकुलेशन किया| इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए तिरुचिरापल्ली चले गए| वहां के सेंट जोसेफ कॉलेज से उन्होंने बीएससी की उपाधि प्राप्त की| वर्ष 1957 में एमआईटी वैमनिकी इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया| अंतिम वर्षों में उन्हें एक परियोजना दी गई, जिसमें उन्हें 30 दिनों के अंदर विमान का एक डिजाइन तैयार करना था, अन्यथा उनकी छात्रवृत्ति रुक जाती| कलाम ने इसे निर्धारित अवधि में पूरा किया| उन्होंने तमिल पत्रिका 'आनंद विकटन' में 'अपना विमान स्वयं बनाएं' शीर्षक से एक लेख लिखा, जिसे प्रथम स्थान मिला| बीएसई के बाद वर्ष 1958 में उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से   एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की| अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर कलाम ने हावर क्राफ्ट परियोजना एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया| इसके बाद वर्ष 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| यहां रहकर उन्होंने थुंबा में रॉकेट इंजीनियर डिवीजन की स्थापना की| उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें नासा में प्रशिक्षण हेतु भेजा गया|
वैज्ञानिक कलाम -
            नासा से लौटने के पश्चात वर्ष 1963 में उनके निर्देशन में भारत का पहला रॉकेट 'बाइक अपाची' छोड़ा गया| 20 नवंबर, 1967 को 'रोहिणी -75' रॉकेट का सफल प्रक्षेपण उन्हीं के निर्देशन में हुआ| परियोजना निर्देशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान slv-3 के निर्माण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| इसी प्रक्षेपण यान से जुलाई, 1980 में रोहिणी उपग्रह का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया| वर्ष 1982 में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में वापस निर्देशक के तौर पर आए तथा अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के विकास पर केंद्रित किया| अग्नि मिसाइल एवं पृथ्वी मिसाइल के सफल परीक्षण का श्रेय उन्हें दिया जाता है|
             जुलाई, 1942 में भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए| उनकी देखरेख में भारत ने 11 मई, 1998 को पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ| वैज्ञानिक के रूप में कार्य करने के दौरान अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रूप देना उनकी विशेषता थी| उन्होंने अंतरिक्ष एवं सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नए उपकरणों का निर्माण भी किया|
             डॉक्टर कलाम की उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 1981 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया, इसके बाद वर्ष 1990 में उन्हें ' पद्मविभूषण' भी प्रदान किया गया| उन्हें विश्व भर के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया| वर्ष 1997 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान   'भारतरत्न' से सम्मानित किया| उन्हें एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का आर्यभट्ट पुरस्कार तथा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार भी प्रदान किया गया है| वह ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें यह सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है| अन्य दो राष्ट्रपति है - सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं डॉ जाकिर हुसैन|
राष्ट्रपति के रूप में कलाम -
            वर्ष 2002 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने डॉ. कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया| विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया और 18 जुलाई, 2002 को उन्हें 90 प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया| इस तरह उन्होंने 25 जुलाई, 2002 को 11 वे राष्ट्रपति के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया| उन्होंने इस पद को 25 जुलाई, 2007 तक सुशोभित किया| वे राष्ट्रपति भवन को सुशोभित करने वाले प्रथम वैज्ञानिक है| साथ ही वह प्रथम ऐसे राष्ट्रपति भी हैं, जो अविवाहित रहे| राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में उन्होंने कई देशों का दौरा किया एवं भारत का शांति का संदेश विश्व को दिया| इस दौरान उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया एवं अपने व्याख्यानो द्वारा देश के नौजवानों का मार्गदर्शन करने एवं उन्हें प्रेरित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया|
            सीमित संसाधनों एवं कठिनाइयों के होते हुए भी उन्होंने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान एवं प्रक्षेपास्त्रओके क्षेत्र में एक ऊंचाई प्रदान की| वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं| उन्होंने तमिल भाषा में अनेक कविताओं की रचना भी की है, जिन का अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हो चुका है| इसके अतिरिक्त, उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की है| 'भारत 2020 : नई सहस्त्राब्दी के लिए एक दृष्टि', 'इगनाइटेड माइंड्स : अनलिशिंग द पावर विदीन इंडिया', 'इंडिया माय ड्रीम', 'विंग्स ऑफ फायर', 'माय जर्नी', ' महाशक्ति भारत',      'अदम्य साहस', 'छुआ आसमान', 'भारत की आवाज', 'टर्निंग प्वाइंट' आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां है| डॉक्टर कलाम की याद में रामेश्वरम में एपीजे अब्दुल कलाम नेशनल मेमोरियल बनाया गया है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई, 2017 में किया|
      'विंग्स ऑफ फायर ' उनकी आत्मकथा है, जिसे उन्होंने भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखा है| उनकी पुस्तकों का अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है| उनका मानना है कि भारत तकनीकी क्षेत्र में पिछड़ जाने के कारण ही अपेक्षित उन्नति के शिखर पर नहीं पहुंच पाया है, इसलिए अपनी पुस्तक 'भारत 2020 : नई सहस्राब्दी के लिए एक दृष्टि' के द्वारा उन्होंने भारत के विकास स्तर को वर्ष 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए देशवासियों को एक विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान किया| यही कारण है कि वह देश की नई पीढ़ी के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं| 27 जुलाई, 2015 को शिलांग में उनकी मृत्यु हो गई| कलाम का जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत है| कलाम की कल्पना का नए भारत बनाने में प्रत्येक भारतीय अपना योगदान दे तो उनका सपना साकार किया जा सकता है|
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