प्रस्तावना :
बुराई का होता है विनाश,
दशहरा लाता है उम्मीदों की आस,
हर व्यक्ति के अंदर की बुराई का हो नाश,
आपके घर में ईश्वर का सदा हो वास|
दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है| इसे अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है| इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रूप से बहुत ज्यादा है| भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह से मनाते हैं| दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है| यहां हिंदू धर्म के लोगों द्वारा लगातार 10 दिन तक मनाया जाता है| इसलिए इसे दशहरा कहते हैं| पहले 9 दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है| दसवें दिन लोग रावण, मेघनाथ, कुंभकरण का पुतला बनाकर इसे जलाते हैं|
दहन पुतलो का ही नहीं,
बुरे विचारों का भी करना होगा,
श्री राम का करके स्मरण,
हर रावण से लड़ना होगा|
मनाने का समय :
दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है| इसे अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है| अथवा दशहरा का पर्व हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है|
आज दशहरे का दिन आया,
असत्य पर सत्य ने जीत पाया,
रामचंद्र जी ने रावण को हराया,
नीति का पूरी दुनिया को एक पाठ पढ़ाया|
मनाने का कारण :
जब भगवान राम को जब 14 साल के लिए वनवास हुआ था, तो भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ जंगलों में अपना वनवास काट रहे थे| तभी आखरी समय में रावण ने सीता माता का हरण कर लिया| तब श्री राम जी ने सुग्रीव, हनुमान और अन्य मित्रों की सहायता से लंका पर आक्रमण किया और रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी और इस प्रकार श्री राम जी ने अत्याचारी रावण को मारकर पाप पर पुण्य, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत प्राप्त की थी| उसी दिन से यह दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है| पुराणों के अनुसार मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर राक्षस का वध किया और मां दुर्गा महिषासुर मर्दिनी का रूप धारण करके चंड मुंड राक्षसों का भी वध किया था|
दशहरा एक उम्मीद जगाता है,
बुराई के अंत की याद दिलाता है,
जो चलता है सत्य की राह पर,
वह विजय का प्रतीक बन जाता है|
दशहरे का वर्णन :
दशहरा पर्व प्रत्येक स्थान पर लगभग 10 दिन पहले से ही रामलीला के रूप में प्रारंभ हो जाता है| रामलीला में सबके सामने भगवान राम के संपूर्ण जीवन की झांकियां बड़े ही सुंदर ढंग से जन समुदाय को दिखलाइए जाती है| स्त्री, पुरुष, बच्चे और बूढ़े सभी रामलीला को बड़े ही चाव से देखते हैं| इसके बाद दशहरे के दिन बड़े-बड़े मैदानों में मेला लगता है| इस दिन राजा लोगों की सवारी बड़ी धूमधाम से निकलती है| दूर-दूर से लोग मेला देखने आते हैं और बहुत सी दुकानें लगती है और बच्चे बहुत ही खुश होते हैं| दशहरे तथवा विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के विशालकाय पुतले लकड़ी और कागज से बनाए जाते हैं और उनमें पटाखे भर दिए जाते हैं| शाम के समय उन पुतलो में आग लगा दी जाती है और आतिशबाजी की भयानक आवाज से वातावरण कुछ क्षण के लिए प्रकंपित हो जाता है| सभी पुतले धू-धू कर जलने लगते हैं|
सत्य स्थापित करके,
इस देश से बुराई को मिटाना होगा,
आतंकी रावण का दहन करने,
आज फिर राम को आना होगा|
दशहरे को विजयादशमी क्यों कहते हैं :
भगवान राम ने लंका विजय के समय समुद्र तट पर 9 दिन तक भगवती दुर्गा की आराधना की थी| दसवे दिन भगवती की कृपा से राम ने दुष्ट रावण पर विजय पाई थी| इसलिए दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है|
दशहरे का महत्व :
दशहरा पर्व हर एक के जीवन में बहुत महत्व रखता है| ' दशहरा' बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है| इसलिए यह त्यौहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाता है| यह पर्व बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है| लोगों का मानना है कि इस दिन शुरू किए गए कार्य में जरुर सफलता मिलती है| दशहरा रावण पर राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है| दशहरा पर लगभग हर शहर में रामलीला कई रातों के लिए आयोजित की जाती है| हजारों लोग इस का आनंद लेने के लिए जाते हैं| विजयादशमी को भारतीय घरों के लिए शुभ माना जाता है| इस दिन लोग अपने घरों में पूजा अर्चना करते हैं| शास्त्रों के मुताबिक इन 9 दिनों में तीनों शक्तियां प्राप्त होती है - शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक| दशहरे के दिन विद्यालयों और दफ्तरों में अवकाश रहता है| लोग इस पर्व को ढेर सारी खुशियां और उत्साह के साथ मनाते हैं|
उपसंहार :
हमारे हिंदू समाज में दशहरा का दिन अत्यंत शुभ दिन माना जाता है| इस दिन मजदूर - श्रमिक लोग अपने काम के यंत्रों की पूजा करते हैं और लड्डू बांटकर खुशी जाहिर करते हैं| दशहरे का पर्व असत्य पर सत्य एवं बुराई पर अच्छाई की विजय माना जाता है| इस दिन श्रीराम ने बुराई के प्रतीक रावण का वध किया था| अतः हमें भी अपनी बुराइयों को त्याग कर अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए| तभी यह दिन सार्थक सिद्ध होगा|