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अपनी-अपनी जगह

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अपना ही जूता पैर के लिए ठीक रहता है। हर ताला अपनी ही चाबी से खुलता है।। हर लकड़ी तीर के उपयुक्त नहीं रहती है।  सब चीजें सब लोगों पर नहीं जँचती है।। हर मनुष्य की अपनी-अपनी जगह रहती है ।।  हरेक

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