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अपनी-अपनी उपयोगिता

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दंड भोगना नहीं अपराध करना शर्म की बात होती है। जीभ में हड्डी नहीं फिर भी वह हड्डियाँ तुड़वा देती है।। लाभ की चाहत में बुद्धिमान भी मूर्ख बन जाते हैं। उधार के कपड़े तन पर कभी सही नहीं आते हैं।। द

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