यह कहना है लखनऊ की सामान्य जनता
का | वैसे भी आम तौर पर पुलिस की कार्यशैली कैसी है, किसी को बताने की जरुरत नहीं
| पुलिस की लचर कार्यशैली और कुख्यात छवि के कारण ही कोई भी हिन्दुस्तानी पुलिस के
नाम से ही नाक-भौं सिकोड़ने लगता है | इस सन्दर्भ में, एक प्रतिष्ठित मीडिया-हाउस द्वारा राजधानी लखनऊ में
कराये स्टिंग में पुलिस के भ्रष्टाचार और जबरन वसूली की खबर पर आम जनता को कोई
आश्चर्य नहीं है | बहरहाल, इस स्टिंग में चंद
रुपयों के लिए पुलिस वालों को बिना रोक-टोक राजधानी में भारी वाहनों को धड़ल्ले से प्रवेश
कराते देखा जा सकता है, बिना इस बात की परवाह करते हुए कि इसमें विस्फोटकों या
हथियारों का जखीरा भी हो सकता है | साथ ही, इस स्टिंग में कुछ गरीब ट्रक वालों से भी
पुलिसवालों को अपशब्दों के साथ जबरन वसूली करते देखा जा सकता है | इस बाबत लखनऊ की
जनता का कहना है कि पुलिस वालों को आम जनता के सुख-दुःख से नहीं, केवल अपनी जेब
गरम करने से ही मतलब होता है | जनता आगे कहती है कि बड़े रसूख लोगों से तो पुलिस
वाले अदब से पेश आते हैं वहीं सामान्य और गरीब जनता से दबंग की भांति व्यवहार करते
हैं | फिलहाल, पुलिस की ये छवि कभी सुधरेगी, जनता को ऐसा नहीं लगता क्योंकि जनता
का मानना है कि जब पुलिस खुद सुधारना ही नहीं चाहती तो भला उसकी छवि कैसे सुधरेगी
? दीगर है कि कानपुर के मेडिकल कॉलेज में भी चिकित्सकों पर पुलिस के अत्याचार ने
पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिसिया विभाग की बड़ी किरकिरी कराई थी | खैर, ये तो जनता
की शुरू से ही पुलिस के प्रति राय रही है और पुलिस की कुख्यात छवि कभी सुधरेगी आज
भी एक ज्वलंत प्रश्न है ! लखनऊ-कानपुर
की जनता के समान ही क्या आपको भी लगता है कि पुलिस की कुख्यात छवि कभी नहीं
सुधरेगी ? या आप आशावान हैं कि पुलिस अपनी छवि कभी न कभी अवश्य सुधार लेगी ? अपनी
प्रतिक्रिया जरुर दें या अगर पुलिस से सम्बंधित कोई घटना आपने देखी हो या झेली हो,
तो उसे लेख के माध्यम से भी शब्दनगरी पर बेबाक तरीके से लिख सकते हैं | अपनी प्रतिक्रियाएं
जरुर दें ताकि पुलिसवालों को अपने बारे में प्रभुद्ध लोगों की राय का पता चल सके |