मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी. दूर कालभैरव का प्रसिद्ध मंदिर अवस्थित है । यहां भगवान कालभैरव को
प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाई जाती है । शराब से भरे प्याले कालभैरव की
मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाते हैं । इसी कारण मंदिर
के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की कई दुकानें सजी रहती हैं। उज्जैन के काल भैरव
मंदिर की स्थापना का रहस्य पुराणों में मिलता है जिनके अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था | इस बात से भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उनके नेत्रों से कालभैरव जी प्रकट
हुए। क्रोधित कालभैरव ने भगवान ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था, जिसकी वजह से उन्हें ब्रह्म-हत्या
का पाप लगा। इस पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब
भैरव ने भगवान शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी
के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी
से यहां काल भैरव की पूजा होने का विधान प्रचलित है। कालांतर में यहां भगवान कल
भैरव का एक बड़ा मंदिर बन गया। कहा जाता है कि इस अति प्राचीन सिद्ध मंदिर का
निर्माण परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।