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हार ,जीत और सीख

4 नवम्बर 2022

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जीवन तो एक सीख है,
जो हर पल हमें सिखाता है,
कभी हार कभी जीत से,
अवगत हमें कराता है।

नित बढ़ने की प्रेरणा,
हर पल हमें दिलाता है,
गलतियों से सीख आगे बढ़े,
हौसला हर कदम बढ़ाता है।

अल्पविराम तो आते ही हैं,
पर ना पूर्णविराम मन को भाता है,
गिरो, उठो और चल पड़ो,
 उम्मीद का चिराग जलाता है।

जो है अंधकार आज तो क्या,
समक्ष है सवेरा दर्शाता है,
टूटते हुए स्वाभिमान में,
प्रयास की हिम्मत जगाता है।

✍️स्वरचित
लिपिका भट्टी

 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

Bahut acchi prastuti Hai.

21 मई 2023

लिपिका भट्टी

लिपिका भट्टी

21 मई 2023

Thank you 🙏😊

16
रचनाएँ
खयालों की पाँख
5.0
विविध विषयों पर कविता संग्रह।
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हार ,जीत और सीख

4 नवम्बर 2022
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जीवन तो एक सीख है,जो हर पल हमें सिखाता है,कभी हार कभी जीत से,अवगत हमें कराता है।नित बढ़ने की प्रेरणा,हर पल हमें दिलाता है,गलतियों से सीख आगे बढ़े,हौसला हर कदम बढ़ाता है।अल्पविराम तो आते ही हैं,पर ना प

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किरदार अपना अपना

5 नवम्बर 2022
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जो दिया तुमने यह जीवन, कुछ ऐसा कर जाऊंगी, किरदार को अपने मैं, &nbs

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समर्पण भाव

7 नवम्बर 2022
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मेरे ईश्वर को चाहे मेरा मन,उनके लिए है मेरा पूर्ण समर्पण,ऋणी है उनका मेरा यह जीवन,वही है राम वही मेरे रमन…चाहूं उनको दिन और रैना ,रहूं भक्ति में उनकी मगन,जैसे श्री कृष्ण संग राधा है रमती,जैसी मां शबरी

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वास्तविक सौंदर्य

9 नवम्बर 2022
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मन में झांको तो जानोगे सुंदरता क्या होती है, यूं तो चित्त को सदा हमारे देह की कांति मोहती है… शीतलता, विनम्रता और सरलता भाव सुंदर मन के हैं, रंग -रूप और तन की काया केवल आंखों को छलते हैं… सेवा भाव रखे

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संयम

13 नवम्बर 2022
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संयम और धैर्य से ही बात आगे बढ़ेगी,यूं ही ना अधीरता से अब यह रात कटेगी…कुछ खोया है अगर तुमने, तो कुछ खो कर पाया है,सब्र रखो थोड़ा सा साथी, यह बरसात छटेगी…आगे बढ़ने के लिए बस हौसला रखना है ,कदम बढ़ाते

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वह कागज की कश्ती

2 दिसम्बर 2022
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वो कागज की कश्तियां बनाकर बहाई,उम्मीदों की चाहतों से थी सजाई,वह रंगीन सपने प्यार कि वह गहराई,कितनी ही यादें थी उसमें समाई,चल पड़ी खोज में नई राह बनाई,बहती धारा में नदिया के करके विदाई,ओझल हो गई पल में

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आत्म सम्मान से समझौता

4 दिसम्बर 2022
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वो इंसान भी क्या इंसान हुआ,जो मर मर कर जिया,जिंदगी के थपेड़ों से,डर कर समझौता किया….दो, चार सिक्कों के समक्ष,नतमस्तक खुद को कर दिया,गैरों के हाथों की,कठपुतली बन ही जिया…हर घूंट बेइज्जती का,खुशी- खुशी

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आत्मसम्मान

4 दिसम्बर 2022
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हम दामन में अपने , तूफान पाला करते हैं, रहमों करम पर नहीं किसी के , खुद के दम पर चलते हैं… लोग दिखते हैं दूर से , हमारा दम ही भरते हैं, समझौता नहीं आता करना हमको, किंतु प्रयास से ना हम डरते हैं… जीते

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देखो वो हमें बांट रहे हैं

28 दिसम्बर 2022
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देखो वो हमारे देश को बांटे जा रहे हैं,निवाला निवाला कर टुकड़े खाए जा रहे हैं,कभी जाति, कभी धर्म, कभी उस परवरदिगार के नाम का, नया सबक हमें सिखा रहे हैं,देखो वो हमारे देश को बांटे जा रहे हैं….हमें

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महत्वाकांक्षा

13 फरवरी 2023
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ना जाने मनुष्य आज का क्यों इतना महत्वकांक्षी हो रहा, महत्वाकांक्षा के चक्कर में सारे सुख चैन खो रहा,दो वक्त की रोटी से आज ना पेट इसका भर रहा,अपने गमों का नहीं रंज गैरों के सुख पर रो रहा!&nb

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मायके की यादें

20 फरवरी 2023
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जब तक थी मैं मां बाप की लाडली,नहीं कभी किसी के उतरे कपड़े पहनें,नहीं पड़े कभी किसी के ताने सहने,नहीं किसी की जूठन खाई,नहीं अश्कों की बरसात छुपाई…..वो गुड़िया वो खेल खिलौने,सावन के झूले, मां के मखमली ब

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शादी जरूरी नहीं

24 फरवरी 2023
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कुछ रिश्ते निभाने के लिए शादी जरूरी नहीं,किसी को दिल से चाहने के लिए शादी जरूरी नहीं,श्री कृष्ण की राधा जी नहीं दीवानी हुईं थीं क्या,पाने को मोहन को मीरा नहीं दुनिया से बेगानी हुई थी क्या?सच्चा प्रेम

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जीवन में आगे बढ़ो

26 फरवरी 2023
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चाहे मिले गम या मिले खुशी ही , जिंदगी की हर सौगात खुले दिल से अपनाया करो, गैर तो गैर ही होते हैं खुशी में काम आते हैं, अपने गमों के दास्तान ना दूसरों को सुनाया करो। दुनिया तो फरेबी है गिराने को जाल बि

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बचपन की नादानियां

27 फरवरी 2023
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इस गली मोहल्ले में मैंने कितनी करी शैतानियां, कहां खो गई ना जाने वो बचपन की नादानियां, मां की डांट से बचाती मेरे भाई की कुर्बानियां, कहां खो गई ना जाने वह बचपन की नादानियां…. वह बचपन के हाथी घोड़े राज

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बचपन की यादें

26 मार्च 2023
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आज याद आ रहा है ना जाने मुझे क्यों वह आंगन, वह हरे भरे खेतों में दौड़ना, वह कच्चे आमों की सुगंध, वह तितलियों के संग भागना, वो करनी सहेलियों से चिढ़हन, वह भाई के साथ पंजा लड़ाना, उसके जीत जाने पर करनी

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मेरी पहचान

25 सितम्बर 2023
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कौन हूं मैं, क्यों हूं मैं खुद से अनजान,क्या है अस्तित्व मेरा,क्या है आखिर मेरी पहचान..जीते तो सभी हैं,पर व्यर्थ जीने में क्या है शान,जियो तो करो कुछ ऐसा,हो तुमसे तुम्हारी पहचान...दृण हो हिमालय से इरा

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