जो दिया तुमने यह जीवन,
कुछ ऐसा कर जाऊंगी,
किरदार को अपने मैं,
बखूबी निभाऊंगी।
कर्म सच्चे करूंगी मैं,
कर्मवीर बन जाऊंगी,
व्यर्थ नहीं करूंगी यह सांसे,
सबके काम में आऊंगी।
शीश झुका समक्ष तुम्हारे,
कृतज्ञता दर्शाऊंगी ,
याद करेंगे सब मुझको,
दिलों में मैं बस जाऊंगी ।
एक सूत्र में बांध सबको,
प्रेम ज्योति जलाऊंगी,
तेरा ,मेरा, अपना - पराया,
सारे द्वेष मिटाऊंगी ।
प्रेरणा ले श्रीराम से,
श्री कृष्ण सा धर्म निभाऊंगी,
अपने लिए तो जीते हैं सभी जन,
मैं 'वसुदेव कुटुंबकम' बनाऊंगी।
✍️ स्वरचित
लिपिका भट्टी