24 अक्टूबर 2021
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जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D
<div><span style="font-size: 16px;">कहानी : परीक्षा </span></div><div><span style="font-size: 1
<div align="left"><p dir="ltr">"सुनो , जयपुर से आते समय पनीर के घेवर लेते हुए आना" । अदिति ने अपने प
<div><span style="font-size: 16px;">मल्टी नेशनल कंपनी की दिल्ली शाखा के प्रमुख अजय भटनागर ने छोटी दी
<div><span style="font-size: 16px;">अभी कुछ दिनों पूर्व मुझे रेलयात्रा का सौभाग्य प्राप्त हुआ । तत्क
<div><span style="font-size: 16px;">आज गोधूलि और बेला फिर से लड़ पड़ीं । वैसे उन दोनों में लड़ाई होना न
<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac
<div><span style="font-size: 16px;">मैं आज सुबह चाय के साथ अखबार का नाश्ता कर रहा था । सुबह सुबह पेट
<div><span style="font-size: 16px;">अगर कोई किसी से पूछे कि तुम्हें किससे सबसे ज्यादा प्यार है तो वह
<div><span style="font-size: 16px;">पिछले अंक से आगे </span></div><div><span style="font-size:
<div><span style="font-size: 16px;">गतांक से आगे </span></div><div><span style="font-size: 16px
<div><span style="font-size: 16px;">आज रात को सोते सोते अचानक बेचैनी सी होने लगी । शायद कोई भयानक सप
<div><span style="font-size: 16px;">आज के जमाने में अगर कोई चीज सबसे अधिक कारगर है तो वह है गोली । ज
<div style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spaci
<div><span style="font-size: 16px;">आज सुबह सुबह श्रीमती जी रजाई खेंचते हुये बोलीं "कब तक रजाई में ह
<div><span style="font-size: 16px;">कहानी : मेथी के परांठे </span></div><div><span style="font-
यह रचना आज से लगभग दो वर्ष पूर्व लिखी थी जब कोरोना महामारी के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था और महाभारत नामक धारावाहिक आया करता था । जब महाभारत समाप्त हुआ तो कुछ खाली सा लगा । उस समय जो विचार उठे उन्हें
सौंदर्या वाकई सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी। भगवान ने उसे शायद फुर्सत से बनाया था । मेनका भी अगर उसे देख ले तो शर्म से पानी पानी हो जाये । ऐसी हुस्न परी पाकर घरवाले निहाल ह़ो गये थे । बचपन में पूरे मोहल्ल
सरपंच साहब की हवेली पर शाम को खूब "हथाई" हुआ करती थी । ग्राम सेवक जी, पटवारी जी, मास्टर जी और रिटायर्ड थानेदार जी की महफिल जमती थी रोज । एक दो घंटे तक हंसी ठठ्ठा चलता रहता था । इसी बीच पूरे दिन की गति
प्रायश्चित देवयानी अभी घर के काम काज से फ्री हुई ही थी कि अचानक डोर बैल बज उठी । देवयानी ने गेट खोला तो देखा कि उसकी बहू अरुंधति खड़ी है । "अरे, आज इतनी जल्दी कैसे आ गई बहू" ? अरुंधति चहकते हुए बोली