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अर्श से फर्श तक

Mukesh Kalal

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मेरी जिंदगी का हाल भी यही रहा मेरा जन्म निर्धन परिवार में हुआ फिर में एक वर्ष का ही था कि मेरे पिताजी का। निर्धन हो गया फिर में ननिहाल में रहने लगा वहां मेरे ननिहाल वालो ने कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी मेरे को कभी यह नहीं लगा कि ये मेरा ननिहाल है मेरी बड़े वाले मामा ने मेरे को अपने बेटे से भी बढ़कर प्यार दिया उन्होंने मेरे को कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी और उन्होंने मेरी हर जरूरत का खयाल रखा मेरे को सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध करवाई ये सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध होने के पश्चात भी मेरा परीक्षा परिणाम बुरा रहा फिर उन्होंने कुछ ना बोला उन्होंने कभी भी डाटा नहीं वो बस मुझे होसियार करना चाहते थे लेकिन मैने उनको निराश ही कियाफीर हमारे घर में वाहन थे थी भी में ना सुख पाया मैने हर क्षेत्र में निराश ही किया है में ग्रेजुए्स होने के बाद भी कुछ नोकरी ना पा सका और बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और ना कुछ डिप्लोमा किया इतनी सुख सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी कुछ नहीं कर सकता हूं बहुत लज्जा महसूस होती है  

arsh se farsh tak

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