ऐसी क्यों होती है माँ
बच्चो को चुपाये खुद रोती है माँ
बच्चो को सूखे में सुलाये खुद गीले में सोती है माँ
जिंदगी की माला को अश्को से पिरोती है माँ
ऐसी क्यों होती है माँ
जिंदगी के हर गम को छिपाती है माँ
ममता की नदियां बहाती है माँ
सबसे अनमोल होती है माँ
अंधेरी रात में लोहरी सुनाती है माँ
बचपन में हर लब्ज को सिखाती है माँ
ऊंगली पकड़कर चलाती है माँ
ऐसी क्यों होती है माँ
हर गम को सहती है माँ
लेकिन होंटो पर मुस्कान रखती है माँ
जिंदगी का हर रिश्ता निभाती है माँ
बच्चो की ख़ुशी पर कुर्बान होती है
सबसे महान होती है माँ
अरुन कुमार शिर्षवाल