भाद्रपद (भादों मास) की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक कुल सोलह तिथियां श्राद्ध पक्ष की होती है। इस पक्ष में सूर्य कन्या राशि में होता है। इसीलिए इस पक्ष को कन्यागत अथवा कनागत भी कहा जाात है। श्राद्ध का ज्योतिषीय महत्त्व की अपेक्षा धार्मिक महत्व अधिक है क्योंकि यह हमारी धार्मिक आस
पितृ सदा रहते हैं आपके आस-पास। मृत्यु के पश्चात हमारा और मृत आत्मा का संबंध-विच्छेद केवल दैहिक स्तर पर होता है, आत्मिक स्तर पर नहीं। जिनकी अकाल मृत्यु होती है उनकी आत्मा अपनी निर्धारित आयु तक भटकती रहती है। हमारे पूर्वजों को, पितरों को जब मृत्यु उपरांत भी शांति नहीं मिलती और वे इसी लोक में भटकते रह
अंतिम संस्कार का शास्त्रों में बहुत वर्णन दिया गया है क्योंकि इसी से व्यक्ति को परलोक में उत्तम स्थान और अगले जन्म में उत्तम कुल परिवार में जन्म और सुख प्राप्त होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं होता है उनकी आत्मा मृत्यु के बाद प्रेत बनकर भटकती है औ
हे ईश्वर , यदि तुम हो,तो कहो कौनसा अपराध ऐसा हुआ? जिसका दंड ऐसा मिला ?तुमने ही कहा था, पत्ता भी न हिलेगा बिन इच्छा के तुम्हारे, अर्थात किया तो ये तुमने ही है, तनिक भी मन विचलित न हुआ तुम्हारा? कहते हो हम सब तुम्हारे बच्चे हैं, फिर किस तरह तुम इतने निर्दयी हुए? हेईश्व
*सनातन धर्म की विशेषता रही है कि अपने पर्व / त्यौहारों के माध्यम से मानवमात्र को एक दूसरे के समीप लाता रहा है | यहाँ प्रत्येक महीने में दिव्य त्यौंहारों की एक लम्बी सूची है , परंतु कार्तिक मास इसमें विशेष है | स्वयं में अनेक दिव्य त्योहारों को समेटे हुए कार्तिक मास का आज समापन हो रहा है | जाते हुए द
*सनातन धर्म के प्रत्येक क्रिया - कलाप धार्मिकता के साथ वैज्ञानिकता भी लिये हुए होते हैं | जिस प्रकार प्रत्येक कार्य का कोई न कोई महत्वपूर्ण कारण होता उसी प्रकार परिक्रमा का भी बड़ा महत्त्व है | परिक्रमा से अभिप्राय है कि सामान्य स्थान या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ से घूमना | इसको 'प्रद
*कार्तिक मास में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं | इसी क्रम में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को वर्ष भर का सर्वोत्तम दिन माना जाता है , और इसे "अक्षय नवमी" का नाम दिया गया है | अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय (विनाश) न हो | वर्ष पर्यन्त जो धर्मकार्य/व्रत किये जाते हैं उसकी अपेक्षा "अक्षय नवमी
*कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाली पंच पर्व का दूसरा दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को "नरक चतुर्दशी" के नाम से जाना जाता है | आज के दिन भगवान श्याम सुंदर कन्हैया ने नरकासुर दैत्य का वध करके उसके कारागार से सोलह हजार कन्या , युवती एवं नारियों को मुक्त कराकर एक नया जीवन प्रदा
महिलाओं के लिए ये कैसी लड़ाई जिसे महिलाओं का हीसमर्थन नहीं मनुष्य की आस्था ही वो शक्ति होती है जो उसे विषम से विषम परिस्थितियों से लड़कर विजयश्री हासिल करने की शक्ति देती है। जब उस आस्था पर ही प्रहार करने के प्रयास किए जाते हैं, तो प्रयास्कर्ता स्वयं आग से खेल रहा होता है।क्योंकि वह यह भूल जाता है कि
*कार्तिक मास त्यौहारों एवं पर्वों का महीना है | पूरे महीने नये नये व्रत एवं पर्व इसकी पहचान हैं | अभी चार दिन पहले महिलाओं ने अपने पतियों के दीर्घायु होने के लिए दिन भर निर्जल रहकर "करवा चौथ" का कठिन व्रत किया था | आज फिर अपने परिवार की कुशलता के लिए , विशेषकर अपनी संतान की कुशलता एवं लम्बी आयु के ल
*इस धराधाम पर जब-जब ईश्वर ने अवतार लिया है तब-तब उनकी शक्ति, उनकी माया उनके साथ आई है | यह माया नहीं होती तो अध्यात्म कैसे होता | ईश्वर स्वयं शक्ति को मानते हैं क्योंकि बिना शक्ति के ईश्वर का भी अस्तित्व नहीं है | इसी शक्ति में जब वीर गुण होता है तो यह "महादुर्गा" हो जाती हैं | जब रजोगुण होता है तो
*एकवेणी जपाकर्ण , पूर्ण नग्ना खरास्थिता,* *लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी , तैलाभ्यक्तशरीरिणी।* *वामपादोल्लसल्लोह , लताकण्टकभूषणा,* *वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा , कालरात्रिर्भयङ्करी॥-------* *नवरात्र की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की उपासना का विधान है। पौराणिक मतानुसार देवी क
*देवताओं की विचरणस्थली दिव्यभूमि भारत देश में नित्य नये पर्व एवं उल्लास परक त्यौहार होते रहते हैं | जहाँ यह सभी त्यौहार मौसम के अनुकूल होने के साथ प्रासंगिकता सहित सभी देशवासियों को एकता के सूत्र में बाँधने का कार्य करते हैं वहीं लगभग सभी त्यौंहार पौराणिक कथाओं से भी सम्बंधित हैं | इसी क्रम में आज द
*इस संसार में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी है | मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बना अपनी शक्ति के बल पर | बिना शक्ति के इस संसार में किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल सकती | चाहे वह ज्ञान की शक्ति हो , चाहे विवेक की , शक्ति का होना अनिवार्य है | मनुष्य को शक्ति प्राप्त होती है प्रकृति से , और प्रकृति है क्या ?? प्रक
हमारे देश में साल भर अलग-अलग प्रकार के उत्सव मनाने की हमेशा से एक परम्परा रही है जैसे कि दिवाली, दशहरा, होली, शिवरात्री और नवरात्रि(Navratri)आदि लेकिन इनमे से कुछ उत्सव को हम रात्रि में ही मनाते है-इनका अगर कोई विशेष कारण न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही