मां दुर्गा एनर्जी एंपावरमेंट 1.मां दुर्गा 2.शेर सवारी क्यों 3.मां के रूप और मानव चक्र 4.चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं 5.मां के रूप विस्तार से 6.कथा 7. SUMMARY TABLE 8.ध्यान 9. अपनी प्रैक्ट
writtenbytrishikasrivastavadhara मैंने कितना ढूंढा उस को ब्रज, मथुरा, वृन्दावन में। अपने भीतर झाँख के देखा, श्याम था मेरे अंतर्मन में। साँझ को जमुना तट पर, वो मुरली मधुर बजाता था। मैं दौड़ी चली जा
मैं जीवन भर तुझे सराहूंगाअंत तक तेरी राह निहारूंगाजिस समय मुझे डर लगेगामैं तुझ पर भरोसा रखूंगा।।तेरे वचन की प्रशंसा करूंगाकिया भरोसा मैं न डरूंगाकोई मेरा क्या कर सकता हैमैं तुझ पर भरोसा रखूंगा।।जब
28/7/22प्रिय डायरी, सावन का महीना चल रहा है। इस सावन के महीने में शिव पूजा अर्चना से भक्त सराबोर रहते हैं। प्रत्येक सोमवार को मंदिर
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा,विकट रूप धरि लंक जरावा।।भीम रूप धरि असुर संहारे,रामचन्द्र के काज संवारे।।लाय संजीवन लखन जियाए,श्री रघुवीर
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,जय कपीश तीहुं लोक उजागर।राम दूत अतुलित बल धामा,अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।।महावीर। विक्रम बजरंगी,कुमति निवार सुमति के संगी।कंचन बरन बिराज सु
श्री गुरु चरण सरोज रज,निज मनु मुकुर सुधारि।बरनऊं रघुवर बिमल जसुं, जो दयाकु फल चारि।।बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमिरौं पवन कुमार।बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु
विलासिता क्या है? अतिशय गुढ प्रश्न है। क्योंकि यह अखिल संसार ही इसके पीछे अंधी दौड़ लगा रहा है। भला सुख-सुविधा और उपभोग की वस्तुएँ किस को पसंद नहीं। कौन नहीं चाहता कि वह अच्छा पहने, अच्छा खाए और अच्छी
धर्म की परिभाषा देना न तो सहज है और न ही सुलभ। परन्तु इसको सरल बनाते है संत। भगवान के भक्त ही हमें भगवान की ओर उन्मुख करते है। संत ही मानव जीवन के लिए जहाज रूपी साधन है, जो भवसागर रूपी संसार से पार लग
नरसी मेहता महान कृष्ण भक्त थे. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने उनको बावन बार साक्षात दर्शन दिए थे। नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़, गुजरात में हुआ था. इनका सम्पूर्ण जीवन भजन कीर्तन और कृष्ण की भक्ति में
भीष्म तो अपनी प्रतिज्ञा से हो गए, अन्यथा उनका नाम तो देवव्रत था। शांतनु और गंगा की आठवीं संतान और पिता के आज्ञाकारी। परशुराम शिष्य भीष्म साधारण नहीं थे, वे अजेय योद्धा थे। वे ऐसे वीर योद्धा थे कि उन्ह
श्री बजरंग बली, अंजन सुत, पवन तनय वीर हनुमान की कथा भी इसी श्रेणी में आती है। महाबली हनुमान ग्यारहवें रुद्र है। बजरंग बली श्री राम के अनन्या-नन्य भक्त है। उनको राम नाम के अलावा जगत में कुछ भी तो प्रिय
भक्ति की धारा प्रवाहित हो और उसमें भगवान के परम भक्तों की चर्चा नहीं हो, संभव ही नहीं। भक्तों के निर्मल चरित्र से हमें काफी कुछ सीखने-समझने का अवसर प्राप्त होता है। अब मैं आपको नारायण के ऐसे ही भक्त प
जीवन तो ईश्वर प्रदत्त है, परन्तु हम जगत के प्राणी इसको अपना समझ बैठे है। हम इस शरीर को अपना समझ बैठे है, जो नाशवान है। पता नहीं कि कब यह शून्य हो जाये, कब शिथिल हो जाए। जैसे ही इसमें से आत्मा निकल जात
सबसे पहले तो मैं श्री गणेश की वंदना करता हूं। गौरी- महेश नंदन बिना विघ्न के मेरी इस रचना का पूर्ण करें। तत्पश्चात मैं वीणा धारनी शक्ति स्वरुपा जगदंबा शारदा की वंदना करता हूं। वे मुझे ज्ञान पुंज दे, जो
शिव, शिव शिव शिव नमो शिवाय।शिव शिव शिव शिव नमः शिवाय।[(2)]भोलेनाथ है डमरू बजाए,डम डम डम डम डमरू बजाए। (2)।शिव शिव शिव शिव नमो शिवाय, शिव शिव शिव शिव नमो
जय श्रीकृष्ण। मित्रगण। आप और हम पर कृष्ण कृपा बरसती रहे।दोस्तो पुनर्जन्म की धारणा पर विभिन्न लोग विभिन्न मत रखते आए है।हमारी सनातन परंपरा व धर्म के अनुसार पुन
तप क्या है यह एक सामान्य सा प्रश्न है और जब हम इसके अर्थ को जानने का प्रयास करते है तो मन मे धारणा बनती है कि,कोई साधू या सन्यासी कोई स्थान विशेष पर बैठ
जय श्रीकृष्ण। साथियो ,मुझे खुशी के साथ साथ अपार हर्ष व प्यार का एहसास हो रहा है कि आप को मेरे विवेचनात्मक विचार। कृष्ण कृपा से भा रहे है।आदरणीय गण, यह सब कृष्ण कृपा है व उनका आशीर्वाद है,वो
हमारी सनातन परंपरा उत्कृष्ट परम्परा रही है।उसमे अथाह ज्ञान व जानकरी का समावेश रहा है ।पर वो नीरस न लगे सो इसे संकेत या कहानियो से समझाया गया।अब बौध्दिक विकास