बड़े दिनों बाद हंसी आयी है लबों पर।
आज नज़र जो गयी उसके खतों पर।।1।।
उसकी हर एक याद बचाकर रखी है।
जो परेशां करता था हमें शरारतों पर।।2।।
जाने कैसे दिखता होगा चेहरे से अब।
हम भी फिदा थे जिसकी चाहतों पर।।3।।
मिलकर बताएंगे तेरे दिए जख्मो को।
हमने काटी है ज़िन्दगी कैसी दर्दों पर।।4।।
वह बेवफा नहीं है पर जान लेना तुम।
कैसे हुआ है निकाह उसका शर्तों पर।।5।।
तूने सवाल लगाया है वजूदे खुदा पर।
जल्द लगेगी लगाम तेरी हरकतों पर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ