ख्वाहिशें तो बहुत है इस दिल की पर पूरी होती नही है।
मंजिलें तो यहां बहुत है पर हमको यह मिलती नहीं है।।1।।
ऐसे घुट घुट कर हम जीने से जिन्दंगी में ऊब गए है।
पे क्या करें ये मौत भी तो कमबख्त बेवक्त मिलती नही है।।2।।
हर सम्त देखो सबको ही बस हराम की खाने को पड़ी है।
अब सच्चे ईमान की जिंदगी दुनिया में कहीं दिखती नहीं हैं।।3।।
एक सरकारी फरमान से गरीबों की सारी दुकानें टूट गयी है।
वह छोटी सी लड़की भी अब फूलों को यहाँ बेचती नही है।।4।।
कहाँ गए वो इश्क करने वाले जो हर रोज यहां आते थे।
शायद किसी गरीब के साथ यहां से अमीर की लड़की भाग गयी है।।5।।
कल भी ना मिलती थी मोहब्बत आज भी ना मिलती है।
मेरी ज़िन्दगी में किस्मत की घड़ी से जरा सी भी पटती नहीं है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ