मेरी ज़िन्दगी जाने क्यों तुमने ये गम दे दिया है।
खता क्या हुई थी जो मेरा हमसनम ले लिया है।।1।।
शायद तुम्हारा दिल मेरी चाहत से भर गया था।
वरना तू हमें बताकर जाता जो यूँ चल दिया है।।2।।
जी भर कर रो भी ना पाए हम उनसे लिपटकर।
देखो जनाजा बन कर मेरा महबूब चल दिया है।।3।।
तुमने कहा था आएंगे हम तेरी हर इक सदा पर।
फिर क्यों हमको यूँ रोता छोड़ कर चल दिया है।।4।।
झूठा था तेरा हर इक वादा ये पता चल गया है।
सुन कर भी तुमने हमको अनसुना कर दिया है।।5।।
किस्मत ने देखो क्या खूब मजाक कर दिया है।
यूँ बिना वजह ही ये जुल्म इसने हम पे दिया है।।6।।
अब ज़िंदगी हम जियेंगे किसके सहारे बताओ।
खुदा तूने भी सितम हमको बे-सबब दे दिया है।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ