कुछ पैग़ाम लेकर आया हुँ।
तुम्हारे गांव होकर आया हूँ।।1।।
माँ मिली थी तुम्हारी हमको।
उनकी दुआए तुझ पे चढ़ाने आया हूँ।।2।।
तेरी ख़ातिर कुछ भेजा है उसने।
उसकी ममता तुमको बताने आया हूँ।।3।।
क्या बताये हाल ए दिल माँ का।
थोड़ा सा मैं तुझको जी कर आया हूँ।।4।।
ताउम्र तू रहेगा सलामत सदा।
भेजी है माँ ने जो बलाए देने आया हूँ।।5।।
बड़े ख़्वाब है उसकी आंखों में।
माँ की दिले ए तमन्ना बताने आया हूँ।।6।।
ये दुपट्टा भेजा है माँ ने तुझको।
माँ की आँचल की छांव देने आया हूँ।।7।।
तेरी छोड़ मैं खुद की सोचता हूँ।
दो दिन में खुद की यादें बना लाया हूँ।।8।।
कैसे खाता है तू यहाँ का खाना।
माँ का बनाया खाना खाकर आया हूँ।।9।।
सुना था मैंने माँए जन्नत होती है।
मैं दो दिन जन्नत को जीकर आया हूँ।।10।।
अब ना रहेगा तू यहाँ पर समझा।
तुझको माँ के पास ले जाने आया हूँ।।11।।
कुछ पैग़ाम लेकर आया हूँ।
तुम्हारें गांव होकर आया हूँ।।12।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ