प्रेरक हिंदी कविता
मेरे दर्द
मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं
इन्हें अपनी आँखों का पता
क्यों दूँ
तरसे और बरसे
इन्हें अपने दर्दों से
वो लगाव क्यों दूँ
मेरा अंधापन मेरी आँखों को
चुभता है
पर अपने लिए फैसलों पर
इसे रोने क्यों दूँ
मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं
इन्हें अपनी आँखों का पता
क्यों दूँ
बहुत कुछ देखा
इन आँखों ने
अब ये भी थक गई हैं
चैन से जीने दूँ अब इनको भी
थोड़ा आराम
क्यों न दूँ
मेरे दर्द सिर्फ मेरे हैं
इन्हें अपनी आँखों का पता
क्यों दूँ….
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
Kai Baar Hua Hain Pyar Mujhe Hindi poetry On Love