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बेड़नी की व्यथा

28 सितम्बर 2015

1267 बार देखा गया 1267
featured imageबेड़नी बस में चढ़ते ही चिरपरिचित आदत के अनुसार किसी महिला के बगल वाली खाली सीट को पाने की ललक आधुनिक कही जाने वाली नारी का सामीप्‍य पाने की चिरपरिचित मानसिकता मनोइच्‍छा पूर्ण होती नजर आई सुंदर, अतिसुंदर, आकर्षक, सेक्‍सी आधुनिक परिधानों एवं अन्‍य अवयवों सहित बैठी युवती लार टपकने वाली थी बड़ी मुश्किल से रोक जल्‍द से उस पर काबिज होता पुरूष मानसिकता का संपोशक पूंछ बैठा, कहां जाएंगी आप मुस्‍कुराते हुए घर कहने पर निपुरती खींसें पुन: प्रयास क्‍या करती हैं आप धंधा, खुद को बेचती हूं खुद पलती हूं बीस और को पालती हूं इसी से मेरा खानदानी पेशा है मैं बेड़नी आदिवासी हूं बैठेगा मेरे साथ आंखों में भौंकते कुत्‍ते अचानक शांत हुए नजरें तलाशने लगी कोई खाली सीट ताकि कोई परिचित देखे न सोच पाए कि कुछ देर पहले और अब की मानसिकता का अंतर कितना और कहां है।

11 अक्टूबर 2015

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रचनाएँ
drvijendrapratapsingh4675
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साहित्‍य संसार
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मेरी पुस्तकें

19 सितम्बर 2015
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लघुकथा

19 सितम्बर 2015
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टूटा फूटा जर्जर घर, दुर्बल परंतु जुझारू प्रकृति वाला गृहस्‍वामी, अपर्याप्‍त साड़ी में किसी तरह अपने शरीर को ढंके हुए हडिडयों का ढांचा सी दिखाई देने वाली गृहस्‍वामिनी और आठ बच्‍चे । किसी तरह जीने की चाह में जिंदगी को घसीटते हुए। गृहस्‍वामी का जुझारूपन एवं गृहस्‍वामिनी का सहयोग रंग लाया । हालातों से ज

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हिंदी तथा ओडि़या के वचनः व्यतिरेकी विश्लेषण

19 सितम्बर 2015
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विजेन्द्र प्रताप सिंहसहायक प्रोफेसर (हिंदी)राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयजलेसर, एटा, उत्तर प्रदेशचलभाष- 7500573035ईमेल- vickysingh4675@gmail.com................................................................................................................................-ः संक्षिप्ति:- भाषा-शिक्षण

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रामविलास शर्मा का भाषाविज्ञान विमर्श

19 सितम्बर 2015
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-ः संक्षिप्ति:-डाॅ. रामविलास शर्मा हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार, यशस्वी आलोचक और ख्यातिप्राप्त के भाषाविद् एवं मनीषी विद्वान रहे हैं। हिंदी साहित्य के अंतर्गत बहुत कम हिंदी साहित्यकार ऐसे हैं, जिन्होंने भाषा चिंतन तथा विशेष रूप से हिंदी भाषा चिंतन पर विचार किया है। उनका चिंतन बहुमुखी था। वे विश्व

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शरद सिंह के उपन्यासों में स्त्री सशक्तीकरण के स्वर

19 सितम्बर 2015
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जिंदगी

21 सितम्बर 2015
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एक लंबी और बेअसर जिंदगी उससे तो अच्छी है छोटी सी जिंदगी।कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ राह पर भागती फिर रही है जिंदगी।

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कहानी

28 सितम्बर 2015
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शिखर शिखा का हंसता खेलता संसार जहां उसके परिवारजनों के लिए गौरव का विषय था वहीं पास-पड़ोस के लिए चर्चा एवं जलन का कारण था। आज के इस युग में भी भला कोई तनाव रहित रह सकता है यही सोच-सोच कर पड़ोसी परिवारों की महिलाएं परेशान रहा करती थीं। ईश्‍वर ने जितना सुंदरता प्रदान की थी उससे भी अच्‍छा था उसका स्‍वभ

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बेड़नी की व्यथा

28 सितम्बर 2015
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बेड़नीबस में चढ़ते हीचिरपरिचित आदत के अनुसारकिसी महिला के बगल वाली खाली सीट को पाने की ललकआधुनिक कही जाने वाली नारी का सामीप्‍य पाने की चिरपरिचित मानसिकता मनोइच्‍छा पूर्ण होती नजर आई सुंदर, अतिसुंदर, आकर्षक, सेक्‍सी आधुनिक परिधानों एवं अन्‍य अवयवों सहित बैठी युवतीलार टपकने वाली थीबड़ी मुश्किल से

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