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भाग – 1

12 जुलाई 2022

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रोज की तरह आज भी दोपहर  एक बजे ऑफिस में लंच टाइम हो चुका था पर श्रवण अपने केबिन मे हाथ में कोरा कागज और पेन पकड़े न जाने किस उधेड़बुन में था तभी उसके दिल से आवाज आई,

 

“ ये कैसी जिंदगी है, सब कुछ है फिर भी कुछ भी नहीं, मैं बस जी रहा हूं, लेकिन क्या सिर्फ जीने को जिंदगी कहते हैं, कितने सपने देखे थे मैंने, लेकिन क्या हुआ उन सपनों का? आखिरकार पैसो के पीछे पीछे मशीन की तरह भागने से क्या मिला मुझे?  समझ में नहीं आता मैं क्या करूं? आज मेरे पास वह सब कुछ है जो मुझे चाहिए था हालांकि मुझे जिंदगी से बहुत कुछ नहीं चाहिए था लेकिन फिर भी”?

 

आज ऐसा लग रहा था जैसे श्रवण खुद से ही लड़ रहा हो, उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, उसके माथे पर पसीने की बूंदे आ रही थी जो उसके अंदर उमड्ते तूफान को साफ साफ बयां कर रहीं थी |

 

घड़ी की सुईयां धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी लेकिन उसके दिल की धड़कन बहुत तेज थी तभी उसने फिर खुद से ही कहा,

“ क्या मैं खुश हूं इस नौकरी से या अपनी निजी जिंदगी से? छोड़ दो यह सब, इसी काम के चक्कर में सब कुछ तो खो दिया, जब नौकरी नहीं थी कुछ लोगों को तब और जब नौकरी मिल गई तब भी मैं कुछ लोगों को अपने से दूर जाने से नहीं रोक पाया,  आखिर क्यों होता है ऐसा कि जब हमारे हाथों में पैसा नहीं होता है तब भी हमे लोग नकार देते हैं और जब हम सोचते हैं कि पैसा ही सब कुछ है और हम उसी पैसे के पीछे भागने लगते हैं, यह सोच कर कि जब हमारे पास यह पैसा होगा तो हमारे पास लोग होंगे जो हमें प्यार करेंगे लेकिन इस पैसे के आने के बाद भी हमें निराशा ही मिलती है” |

 

यही सब सोचते हुए वह बार-बार अपने हाथ में सफेद कागज को देख रहा था तभी एकाएक न जाने कैसे श्रवण में इतनी ताकत आ गई कि उसने फटाफट अपना रेजिग्नेशन लिखा, यह वह काम था जो वो कई महीनों से करना चाहता था, ऐसा नहीं था कि उसे नई नौकरी मिल गई थी लेकिन अब वह अपने इस काम से खुश नहीं था,  ऐसा लगता था जैसे अब उसकी अंतरात्मा थक चुकी हो |

 

वो अपना रेजिग्नेशन लेटर लेकर अपने बॉस के पास जाने के लिए कुर्सी से उठ खड़ा हुआ कि तभी बाहर से ऑफिस बॉय ने आकर मेज पर उसके सामने एक कोरियर रखते हुये कहा,

 "सर, अभी-अभी एक कुरियर वाला आया था,  उसने यह पैकेट दिया है,  यह सक्सेना जी का है लेकिन उनका तो दो दिन पहले ट्रांसफर हो गया है, पहले सोचा वापस कर दूं लेकिन कुरियर बॉय ने कहा कि अगर आप उनको जानते हो तो आप दे दीजिएगा,  वापस करेंगे तो ये मारा मारा फिरेगा और हो सकता है यह उनका अर्जेंट कुरियर हो, इसलिए मैंने उससे कहा कि सक्सेना जी को फोन कर ले लेकिन उनका नंबर भी स्विच ऑफ जा रहा था तो मैंने सोचा आपके तो  वो बहुत अच्छे दोस्त हैं, अगर आप नहीं मिल पाएंगे तो कम से कम उनसे बात तो होती होगी आपकी, तो आप ही बता देना या दे देना उनको कभी” |

 

यह कहकर ऑफिस बॉय कोरियर को टेबल पर छोड़कर बाहर चला गया | श्रवण एक टक उस कुरियर को देखता रहा,  न जाने उसे एक पल के लिए उस कुरियर पर बहुत गुस्सा आया जैसे उसका काम बीच में रुक गया हो लेकिन उसने अपने गुस्से पर काबू पाते हुए अपने कदम बढ़ाए और उसे छोड़ वो बॉस को रेजिग्नेशन देने चला गया |

 

लंच टाइम खत्म हो चुका था सारे एंप्लॉय अपनी अपनी सीट पर बैठ चुके थे और श्रवण बॉस के केबिन के बाहर पहुंच कर अपनी उखड़ती सांसो को सामान्य करने लगा तभी उसके साथ काम करने वाली रिया ने अपनी सीट से उसे देखते हुए इशारे में ही पूछा,

 

“ क्या हुआ”?

 

 उसने भी इशारे में ही उससे कहा,

“  कुछ नहीं, बस....” |

 रिया ने उसे इस्माइल करने के लिए कहा, इससे श्रवण को थोड़ी सी तसल्ली हुई और वह केबिन के अंदर घुस गया |

 

केबिन के अंदर से जोर जोर की आवाजें आने लगीं, दोनों में बहस जो हो रही थी लेकिन कुछ देर तमाम दलीलों के बाद वह बॉस के केबिन से जब बाहर आया तो रिया ने फिर इशारे में पूछा,

“  आखिर क्या हुआ? बात क्या है”?

 

 लेकिन उसने रिया की ओर देखा तक नहीं और अपने केबिन में आकर ड्रार से अपना कुछ सामान और बैग उठाकर बाहर आ गया | ऑफिस के सारे लोग आपस में खुसुर फुसुर  करने लगे, उन्हें पता चल चुका था कि श्रवण ने यूं अचानक से नौकरी छोड़ दी इसका मतलब उसे जरूर इससे भी अच्छी नौकरी मिल गई होगी | उसने मुस्कुराते हुये सबसे बाय कहा और बाहर आ गया |

 

 वो अभी लिफ्ट तक आया ही था कि तभी उसे कोरियर की याद आ गई लेकिन फिर से ऑफिस जाने का उसका मन ना हुआ और वह बोला,

 

“  मुझे क्या लेना देना उस कुरियर से और वैसे भी सक्सेना जी का तो ट्रांसफर हो चुका है” |

 

ये कहकर उसने लिफ्ट का बटन दबा दिया लेकिन तभी उसको याद आया कि सक्सेना जी का व्यवहार तो बहुत अच्छा था और तो और उन्होंने उसकी हर मोड़ पर मदद की और बड़े भाई की तरह उसको अच्छी सलाह दी, वो गुस्से में ये सब कैसे भूल रहा है” |

 

यही सब सोचकर वह  भाग कर दोबारा ऑफिस गया और जल्दी से उस कुरियर को उठाकर वापस आने लगा तभी उसके कुछ दोस्तों और रिया ने उससे बिना कुछ पूछे ही कहा,

“  चल भाई आज से तो तू आजाद है और हां नई जॉब की बहुत-बहुत बधाई” |

 

 श्रवण ने आश्चर्य से कहा,  “ नई जॉब?? मतलब क्या कहना चाहते हो तुम लोग”?

 तभी रिया ने कहा, “ क्या मतलब तेरा कि हम कहना क्या चाहते हैं? अरे तुझे नई जॉब मिल गई होगी इसलिए तो तूने इतनी अच्छी जॉब छोड़ दी” |

 

यह सब सुनकर श्रवण ने कहा,  “ यार तुम लोग गलत समझ रहे हो, दरअसल मैं कुछ टाइम के लिए ब्रेक लेना चाहता हूं और अपने घर जाना चाहता हूं, रही बात नौकरी की, तो वो तो कभी भी मिल जाएगी” |

 

इतना कहकर वह बाहर चला आया और सारे लोग उसे देखते ही रह गए |

 

वो आज बड़ा हल्का महसूस कर रहा था,  जैसे उसके मन पर से कोई बहुत बड़ा बोझ हल्का हो गया हो |


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यह कहानी है शहर में रहने वाले श्रवण की, जो अपनी जिंदगी की उलझन में फंसा हुआ है और सब छोड़ कर एक नई शुरुआत करना चाहता है । ऐसे में परेशान होकर एक दिन वह अपनी नौकरी छोड़ कर अपने गांव जाना चाहता है लेकिन तभी उसे एक किताब मिलती है जो गलती से उसके पास आ जाती है श्रवण शहर छोड़ने के बाद ट्रेन में यात्रा करते समय उस किताब को पढ़ना शुरू करता है और उस किताब में मौजूद कई कहानियों और पात्रों से खुद को जोड़ने लगता है । आखिर किन लोगों की कहानियां उस किताब में लिखी हुई थी ?श्रवण उन पात्रों से कैसे जुड़ जाता है? आखिर किसने लिखी थी यह किताब और किसकी थी यह किताब? इन सारे रहस्यमई सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी समय ।

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