अच्छा स्वास्थय एवं अच्छा समय जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान है! जल्दी सोना और जल्दी उठना मनुष्य को सवस्थ, धनवान और बुद्धिमान बनाता है! भले ये हमारे पुराने सिद्धांत रहे हो लेकिन यह भी सच है कि आज की बदलती जीवनशैली में भी पुरानी इस तरह की कहावते अच्छे सवस्थ जीवन के लिए बहुत अधिक कारगर सिद्ध हो रही हैं! आज आधुनिक जीवनशैली की तेज रफ़्तार एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे खान-पान और रहन-सहन की गलत आदत के कारण स्वास्थय का विषय बहुत पीछे रह गया है! घी, तेल से बनी चीजें जैसे पूड़ी पराँठे ,छोले, भठूरे ,समोसे, कचौड़ी, जंक फ़ूड, चाय ,कॉफी ,कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन सेहत के लिए घातक है ! इनका अधिक मात्रा में नियमित सेवन ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल मधुमेह मोटापा एवं हार्ट डिजीज का कारण बनता है ! पेट में गैस, अल्सर, ऐसीडिटी, बार बार दस्त लगना, लीवर ख़राब होना जैसी तकलीफें होने लगती हैं!
आधुनिक वि
ज्ञान ने उन्नत स्वच्छता, टीकाकरण और एंटीबायोटिक्स तथा चिकित्सकीय सुविधाओं के माध्यम से अनेक संक्रामक बीमारियों से होनेवाली मृत्यु के खतरे को खत्म कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि अब मृत्यु का प्रारंभिक कारण हृदय रोग और कैंसर जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां हो गई हैं। प्राकृतिक रूप से हर व्यक्ति की मृत्यु किसी-न-किसी कारण से हो सकती है, लेकिन जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां लोगों की असमय मृत्यु का कारण बन जाती हैं।
विश्व
स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत की पहचान ऐसे देश के रूप में की है, जहां निकट भविष्य में जीवनशैली से जुड़े विकार सर्वाधिक होंगे। आजकल न केवल जीवनशैली के विकार आम हो रहे हैं, बल्कि ये युवा आबादी को भी प्रभावित कर रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्
विज्ञान संस्थान द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार उच्च रक्तचाप, मोटापा और हृदय रोग के मामले, विशेष तौर पर युवा और शहरी युवा आबादी में खतरनाक गति से बढ़ रहे हैं।
चिकित्सकों के कथनानुसार, वसायुक्त भोजन की अत्यधिक मात्रा और अल्कोहल के साथ निष्क्रिय जीवन पध्दति ही मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए जिम्मेदार हैं।
संतुलित भोजन :--------
शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज की आवश्यकता मनुष्य की आयु, लिंग, शारीरिक श्रम और शरीर की दशा पर निर्भर करती है। शारीरिक श्रम करने वाले एक मजदूर को दफ्तर में काम करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा शक्ति प्रदान करने वाले भोजन की कहीं अधिक आवश्यकता होती है। गर्भवती औरतों और स्तनपान करने वाले बच्चों की माताओं को शारीरिक परिवर्तनों के कारण अधिक प्रोटीन और खनिजों की
आवश्यकता होती है। स्वस्थ मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए उचित निद्रा,श्रम, व्यायाम और संतुलित आहार अति अवश्यक है।
शाकाहारी भोजन उत्तम स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। फल-फूल, सब्ज़ी, विभिन्न प्रकार की दालें, बीज एवं दूध से बने पदार्थों आदि से मिलकर बना हुआ संतुलित भोजन से कोई भी जहरीले तत्व पैदा नहीं हो सकता!
आहार जिस में सभी प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन,वसा, लोह, खनिज, रेशा, कैल्सियम तथा सोडियम पर्याप्त मात्रा में हो ! इस प्रकार भोजन का सही तरीके से पाचन, उसके बाद भोजन का व्याप्तिकर्ण तथा सही तरीके से निष्कासन होता है!
विभिन्न रंगों के खाद्य पदार्थ खाने का प्रयत्न करें और खाएं। विभिन्न खाद्य पदार्थों से विभिन्न पोषक तत्व मिलते हैं। खाद्य पदार्थ विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट (ऑक्सीकरण रोधी) से भरे होते हैं। इन सभी तत्वों के बारे में आपको आपके डॉकटर पूरी जानकारी दे सकते है!
कार्बोहाइड्रेट
शरीर के सभी अंगों, सेल्स और ऊतकों को ग्लूकोज की जरूरत होती है जो कार्बोहाइड्रेट के रूप में होता है। कार्बोहाइड्रेट साबुत अनाज, फल, सब्जियों और फलियां वाले खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। कैंडी, पेस्ट्री, कुकीज और पेय पदार्थो से आपको कार्बोहाइड्रेट मिलता है। कार्बोहाइड्रेट संतुलित आहार के महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। औसतन, एक वयस्क को लगभग 55 से 65 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट के रूप में लेना चाहिए।
अनाज-----------
जनसंख्या विस्फोट और भोजन की मांग हमेशा साथ-साथ चलते हैं। शहरी जीवन द्वारा संतुलित आहार के अर्थ के बदलने से मोटे अनाज की उपयोगिता को हमारे देश में ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के अनुरूप संशोधित किया गया है।
रागी
रागी को भारतीय मूल का माना जाता है और यह उच्च पोषण मान वाला मोटा अनाज होता है, जिसमें अधिकतम 344 मिग्रा/100ग्राम कैल्शियम होता है। रागी में लौह तत्त्व की मात्रा 3.9मिग्रा/100ग्राम होती है, जो बाजरे को छोड़कर सभी अनाजों से अधिक है। रागी खाने की सलाह मधुमेह के रोगियों को दी जाती है। पारंपरिक रूप से रागी का इस्तेमाल खिचड़ी जैसे आहार के रूप में किया जाता है। अब बाजार में एक तुरंत प्रयोग योग्य आहार के रूप में रागी वर्मीसेली उपलब्ध है।
बाजरा
बाजरे का इस्तेमाल कई औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। बाजरे के 100 ग्रा. खाद्य हिस्से में लगभग 11.6 ग्रा. प्रोटीन, 67.5 ग्रा. कार्बोहाइडेट, 8 मि.ग्रा लौह तत्व और 132माइक्रोग्राम कैरोटीन मौजूद होता है, जो हमारी आँखों की सुरक्षा करता है। भले ही इसमें पाइटिक अम्ल, पॉलीफेनॉल और एमाइलेज जैसे कुछ पोषण-निरोधी अवरोधक होते हैं, पर पानी में भिगोने के बाद अंकुरण और अन्य पकाने की विधियों से इसके पोषण-निरोधी तत्त्वों में कमी हो जाती है।
प्रोटीन
प्रोटीन एक पोषक तत्व है जो शरीर के ऊतकों के निर्माण, मरम्मत और रखरखाव के लिए जरूरी है। प्रोटीन त्वचा, आंतरिक अंगों और मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी हैं। प्रोटीन के 12 प्रकारों में से बॉडी 14 प्रोटीन बना सकती है और अन्य 8 प्रोटीन्स को अमीनो एसिड के नाम से जाना जाता है, जो केवल भोजन के जरिए प्राप्त किया जा सकता है। संतुलित आहार में इन 8 प्रकार के प्रोटीन्स का होना अनिवार्य है। मछली, मांस, अंडा, पनीर जैसे खाद्य पदार्थों में एमीनो एसिड होता है। प्रोटीन हमारे भोजन का एक बहुत ही महत्वौपूर्ण हिस्साज है। वे लोग जो मांसाहार पसंद करते हैं, वे बड़ी ही आसानी से प्रोटीन की पूर्ती मटन, मछली और अंडे से कर सकते हैं। लेकिन वे लोग जो शाकाहारी हैं, उन्हेंर प्रोटीन का स्रोत थोड़ी मुश्किरल से मिलता है। शाकाहारी स्रोतों में चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का प्रमुख हैं। मांस, मछली, अंडा, दूध एवं यकृत प्रोटीन के अच्छे मांसाहारी स्रोत हैं।
वसा और कोलेस्ट्रॉल-------
फैट, संतुलित आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लगभग 25 से 35 प्रतिशत वसा दैनिक जरूरत के लिए काफी है, परन्तु संतृप्त वसा का कुल फैट 10 प्रतिशत से अधिक नही लेना चाहिए। पॉलीअनसेचुरेटेड स्रोतों जैसे - जैतून के तेल, नट्स और मछली में संतृप्त वसा पाई जाती है।
• संतृप्त वसा पशु उत्पादों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे, मांस, डेयरी उत्पाद, चिप्स और पेस्ट्रियों में पाई जाती हैं। संतृप्त वसा हृदय के लिए स्वास्थ्यकारक नहीं होती हैं, क्योंकि वे आपके रक्त में कम घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल ("बुरा" कोलेस्ट्रॉल) का स्तर बढ़ाने के लिए सबसे अधिक जानी जाते हैं।
• दूसरी ओर, असंतृप्त वसा, मेवा, एवोकेडो, और जैतून जैसे खाद्य पदार्थों में पाई जाती हैं। अध्ययनों से पता चला है कि असंतृप्त वसा हृदय के लिए स्वास्थ्यकर वसा हैं - उनमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता होती है और वे उच्च घनत्व लाइपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल (“अच्छा” कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को बढ़ाती हैं।
• कुछ प्रकार की वसा को सीमित रखना महत्वपूर्ण है। वसा के विभिन्न प्रकारों (संतृप्त, बहुअसंतृप्त, एकलअसंतृप्त वसा और ट्रांस वसा) में से संतृप्त वसा और ट्रांस वसा रक्त के कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाकर कोरोनरी धमनी रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं।
• संतृप्त वसा के प्रमुख स्रोतों में शामिल हैं:
• लाल मांस
• डेयरी उत्पाद
• नारियल और ताड़ के तेल
• ट्रांस वसा के स्रोतों में शामिल हैं:
• गहरे तले हुए फास्ट फूड
• बेकरी उत्पाद
• पैक किये हुए नाश्ता खाद्य पदार्थ
• मार्जरीन
• क्रैकर
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल वसा की तरह की एक पदार्थ है जो मुख्य रूप से हमारे यकृत में उत्पन्न होता है! वास्तव में, कोलेस्ट्रॉल के कई महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिनमें शामिल हैं:
• कोशिका झिल्लियों का गठन और रखरखाव
• सेक्स हार्मोनों का निर्माण
• पित्त लवणों का उत्पादन जो खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करते हैं
• विटामिन डी का उत्पादन
शरीर में आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए जरूरी कोलेस्ट्रॉल का लगभग 80 प्रतिशत यकृत द्वारा बनाया जाता है, और शेष भाग भोजन से आता है।
आपकी कोलेस्ट्रॉल की दैनिक खपत एक दिन में 200 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ट्राइग्लिसराइड क्या हैं?
जब हम भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर द्वारा वसा को ट्राइग्लिसराइडों,जो वसा का वह रूप है जिस शरीर ऊर्जा को आवश्यकता के समय प्रयोग के लिए संग्रह करके रखता है, में परिवर्तित कर दिया जाता है। जब शरीर की ऊर्जा की जरूरत होती है,तब ट्राइग्लिसराइड मुक्त हो जाते हैं और हमारी ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए उन्हें ईंधन के रूप में जला दिया जाता है।
आपकी नियमित स्वास्थ्य जाँच के एक हिस्से के रूप में, आपके रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइडों की मात्रा मापी जाती है। ट्राइग्लिसराइडों और कोलेस्ट्रॉल के सामान्य से अधिक स्तरों का संबंध निम्न से जोड़ा गया है:
• हृदय का रोग, जिसमें सीने में दर्द होता है और हृदय का दौरा आता है।
• परिधीय संवहनी रोग (पैरों की धमनियों का अवरूद्ध हो जाना)
• सिर और गर्दन की अवरूद्ध धमनियों के परिणामस्वरूप होने वाला मस्तिष्काघात।
• अग्न्याशयशोथ और लाइपोडिस्ट्रॉफी
ओमेगा -3 --------
वसा अम्ल, बहुअसंतृप्त वसा का एक प्रकार, आपके हृदय के दौरे के जोखिम को कम कर सकता है, और अनियमित दिल की धड़कनों से रक्षा और रक्तचाप को कम कर सकता है। ओमेगा-3एस, मछलियां जैसे साल्मन और मैकरेल, फ्लैक्स सीड तेल, अखरोट के तेल, सोयाबीन तेल और कैनोला तेल में छोटी मात्रा में मौजूद होते हैं!
विटामिन
विटामिन शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं की मदद करता है। शरीर के विकास के लिए 13 अलग-अलग प्रकार के विटामिन्स की जरूरत होती है। ये विटामिन शरीर के विभिन्न अंगों की जरूरतों को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए, विटामिन-ए आंखों के लिए, विटामिन-सी स्वस्थ त्वचा के लिए और विटामिन-डी हड्डियों और दांतों को मजबूत रखता है। ताजा फलों, सब्जियों, अंडे आदि से विटामिन सप्लीमेंट प्राप्त कर सकते हैं।
फाइबर
फाइबर यानी रेशेदार भोज्य पदार्थ। इनसे न केवल शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है, बल्कि पेट भी साफ रहता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। फाइबर युक्ति खाद्य पदार्थ सिर्फ कब्ज ही नहीं, डाइबिटीज, अस्थमा, ह्रदय रोग और कैंसर को दूर भगाने में भी सहायक होते हैं। फाइबर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को सुचारू रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
खनिज पदार्थ
खनिज शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन जैसे कई खनिज पदार्थ शरीर के समुचित कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन्हें अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा में लिया जाना चाहिए। जबकि जिंक, सेलेनियम और कॉपर जैसे अन्य खनिजों की जरूरत स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए कम मात्रा में भी लिया जा सकता है।
फल
संतरा, अंगूर और नींबू जैसे खट्टे फल ठंडक से भरपूर होते हैं। ये फल स्वा दिष्टर तो होते ही हैं साथ ही आपको स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करते हैं। साइट्रस पाचन में विशेष रूप से महत्वमपूर्ण माना जाता है यह वसायुक्त खाद्य पदार्थों को पाचने में मदद करता है। कुछ शोध अध्ययनों के अनुसार संतरे में मौजूद फ्रक्टोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका एक गिलास जूस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से संतरे के रस में भर देता है।
अपने भोजन में काफी मात्रा में कच्ची साग-भाजी-सलाद शामिल किया जाए ताकि उनमें पाए जाने वाले बहुमूल्य क्षार एवं खनिजों को पोषण में सम्मिलित होने का अवसर मिले। सूखे अन्न को अंकुरित करके तथा धीमी आग पर उबाल कर खाने का तरीका भी ऐसा है, जिससे मोटे अनाज मेवे जैसा गुण देने लगते हैं।
प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में अंकुरित आहार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। अंकुरित होते समय बीजों में पाई जाने वाले प्रोटीन, विटामिन, एन्जाइम एवं मिनरल की वृद्धि असाधारण रूप से होती है। अंकुरण के समय अन्न की जीवनी शक्ति विकासोन्मुखी एवं अधिक सक्रिय होती है। उस स्थिति में एन्जाइम की मात्रा बीजों में अत्यधिक बढ़ जाती है, जो शरीरगत चयापचय क्रिया को अधिक अच्छी तरह संपन्न कर रक्त संचार व पाचन तंत्र को विशेष शक्ति प्रदान करते हैं।
पानी
पानी हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है और इसे पर्याप्त मात्रा में लिया जाना चाहिए। यह शरीर को हाइड्रेटेड करता है और बॉडी फंग्शन को ठीक रखता हैं। मानव शरीर का लगभग 70% हिस्सा पानी है। नियमित रूप से कम से 8-10 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए।
स्वस्थ जीवन के लिए
सप्ताह में कम से कम पांच दिन, 40 मिनट प्रतिदिन व्यायाम करें
स्वस्थ वजन को बनाए रखने के लिये आप शारीरिक गतिविधि को अन्य जीवन शैली के उपायों के साथ संयोजित करते हैं तो और अधिक लाभ मिलते हैं। मध्यम गहन शारीरिक गतिविधि वाली कम से कम 40 से 60 मिनट तक गतिविधि सप्ताह के 05 दिनों में करने की कोशिश करें। हालांकि, व्यायाम की छोटी सी मात्रा भी दिल के लिये लाभदायक होती है।
नियमित अभ्यास– सूर्योदय से पहले उठकर पार्क जाएं,हरी घास पर नंगे पैर घूमें,दौड़ लगाएं,वाक करें,योगा,प्राणायाम करें,इन उपायों से शरीर से पसीना निकलता है,माँस पेशियों को ताकत मिलती है,शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है,अनेक शारीरिक एवं मानसिक रोगों से बचाव होता है,पूरे दिन भर बदन में चुस्ती फुर्ती रहती है,भूख अच्छी लगती है इसलिए नियमित रूप से व्यायाम अवश्य करें l
योग जीवन ------- टेंशन को कहें बाय बाय -------
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चिंता, तनाव और मनोरोग दूर करने का आसान और सबसे बेहतरीन तरीका योग है. इससे न सिर्फ शरीर स्वस्थ होता है, बल्कि तनाव संबंधी हॉर्मोन भी नियंत्रित होते हैं। उनके मुताबिक, यह साबित हो चुका है कि योग आहार संबंधी समस्याएं, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापा दूर करने में बेहद प्रभावी भूमिका निभाता है। जानकारों के मुताबिक योग जीवन जीने का तरीका है। बीमारी होने के बाद उससे निजात पाने के लिए लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि योग करें या एलोपैथिक दवाओं का सेवन करें। लेकिन उन्हें यह समझने की जरूरत है कि योग हृदय रोग या मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज के दौरान या उसके बाद मानसिक तनाव कम करने में फायदेमंद है।
अच्छी व सवस्थ नींद
शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन लगभग 8 घंटे की गहरी नींद एक वयस्क के लिए जरुरी है l
सोने का कमरा साफ सुथरा,शांत एवं एकांत में होना चाहिए,रात को अधिकतम 10 बजे तक सो जाना और सुबह 5-6 बजे तक उठ जाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है,सोने से पहले शवासन करने से अच्छी नींद आती है,खाना सोने से 2-3 घंटे पहले कर लेना चाहिए एवं शाम को खाना खाने के बाद 20-25 मिनट अवश्य घूमें l
स्वस्थ शरीर के कुछ माप
स्वस्थ वजन---------
1- बॉडी मास इन्डेक्स ----वजन मापने का सबसे सरल साधन है । इसके द्वारा शरीर के वजन (किलो ग्राम में) को लम्बाई (मीटर) के वर्ग से भाग करके निकाला जा सकता है ।
बी .एम .आइ.= व्यक्ति का भार (किलो)/(लम्बाई बर्ग मीटर में)
सामान्य स्तर -----17 से 23 तक हल्का मोटापा -----24 से 30 तक मध्य मोटापा -----31 से 35 तक अधिक मोटापा ----36 से 40 तक अत्यधिक मोटापा ----40से अधिक
भारतवर्ष में मोटापा के अलावा कम वजन भी गंभीर समस्या है ! अतिनिम्न आर्थिक वर्ग होने के कारण हमारे बीमित व्यक्तियों में कम वजन की समस्या अधिक मात्रा में पायी जाती है !अतः ऐसे व्यक्ति को अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना अनिवार्य है ताकि वह अपना बाड़ी मास इंडेक्स -17 से 23 के बीच में कायम रख सके !
2.कमर की परिधि -------
कमर परिधि भी यह मापने के लिए, कि पेट में कितनी चर्बी है, एक उपयोगी साधन है:
• पुरुषों को अधिक वजन वाला माना जाता है, अगर उनकी कमर का माप 40 इंच (101.6 सेंटीमीटर, या सेमी) से अधिक हो।
• महिलाओं को अधिक वजन का माना जाता है, अगर उनकी कमर की माप 35 इंच (88.9 सेमी) से अधिक हो।
वजन में एक छोटी सी कमी भी फायदेमंद हो सकती है। वजन में सिर्फ 10 प्रतिशत की कमी आपके रक्तचाप, रक्त के कोलेस्ट्रॉल के स्तर,और मधुमेह के खतरे को कम कर सकती है।