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तुम्हारे बाद

22 अक्टूबर 2016

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खबर आयी कि 'बाबा' का अस्पताल में देहांत हो गया है | खबर ऐसी कि कानो को विश्वास न हो | पर सत्य सामने था, जिसपर अविश्वास नहीं किया जा सकता था | सभी लोग अस्पताल की तरफ भागे जहां 'बाबा' ने अंतिम साँसे ली थी | अस्पताल की साड़ी औपचारिकताएं ख़त्म कर रात बारह बजे उनके पार्थिव शरीर को उनके घर लाया गया | कड़ाके की ठण्ड पद रही थी | हिन्दू रिवाज के अनुसार किसी के भी पार्थिव शरीर को घर के अंदर नहीं ले जाया जाता है | रखने के लिए बहुत जद्दोजह के बाद तय हुआ कि मकान की ड्योढ़ी पर लिटा दिया जाए | समय के अनुसार परिवार के अधिकाँश लोग साथ में बैठे रहेंगे, उजाला होने तक | सुबह की पहली किरण के साथ उनके अंतिम यात्रा की तैयारी किये जाने का विचार बना | उनके पुत्र कोई था नहीं | दो बेटियां थी जो पास-पास ही रहती थी | रिटायरमेंट और बुढ़ापे के कारण बाबा एवं उनकी पत्नी अपनी बेटियों पर आश्रित थे, पर उनके नाम कुछ जमा पूंजी अवश्य थी ,कुछ रकम पेंशन के रूप में मिल जाती थी | एक जमीन का टुकड़ा था जिसपर आवश्यकता से अधिक मकान बने हुए थे | गाँव पर भी संयुक्त परिवार में कुछ जमीने थी जो बाबा के नाम पर थी | इन सबके भरोसे बाबाजी ने अपने और अपनी पत्नी के लिए बुढ़ापा काटने की योजना बनाया था, पर हां री किस्मत, इंसान सोचता कुछ और है, होता कुछ और है | धीरे-धीरे सारे परिचित एवं रिश्तेदार जमा होने लगे | बाबाजी के छोटे भाई के लड़के भी उसी मुहल्ले में रहते थे | वो लोग भी पूरा परिवार सहित आ जुटे | एक तरफ गाँव- समाज के सारे लोग इकठ्ठा होकर अंतिम यात्रा के लिए तैयारियां करने में लगे हुए थे वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाएं गपशप में लगी हुई थी | उनके से एक ने कहा कि मुखाग्नि तो बेटा द्वारा दिया जाना चाहिए | यदि बेटा नहीं है तो भतीजे द्वारा दी जानी चाहिए | यहाँ तो उल्टी गंगा बाह रही है | बेटा नहीं है तो क्या हुआ , भतीजा को ही आगे बढ़कर मुखाग्नि देना चाहिए | यदि दामाद अथवा दामाद के पुत्र द्वारा मुखाग्नि दी जाती है तो दिवंगत आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी | जितने मुह उतनी सलाहें | तभी किसी ने कहा कि 'बाबा' की संपत्ति पर बेटियों का पहला हक़ होता है | यदि मुखाग्नि बेटी की तरफ से नहीं दिया गया तो हो सकता है कि उनकी संपत्ति में बेटी- दामाद को कोई हिस्सा ना मिले , इसलिए अच्छा होगा की हर हाल में यह सेवा बेटी के पुत्र (नाती ) द्वारा ही दिया जाना चाहिए ,चाहे कुछ भी हो जाए | वैसे तो कानूनन जायदाद में बेटियों का हक़ बनता है पर क्या पता यदि भतीजे ने सबके सामने मुखाग्नि दिया तो पंचों का मत भतीजे की तरफ हो जाए और फिर जायदाद में भतीजे को हिस्सा देना पड़े | अंतिम यात्रा की तैयारियां चलती रही, साथ ही तर्कों- वितर्कों का माहौल भी | हकीकत में 'बाबाजी' के भतीजे अंतिम बार बाबाजी के नौकरी से सेवानिवृति के दिन आये थे , उस दिन घर के प्रत्येक सदस्य को उन्होंने कुछ ना कुछ उपहार दिया | किसी को गहने तो किसी को नकद धनराशि | उसके बाद आज का दिन है जब उनके अंतिम यात्रा के समय | बाबाजी की विधवा घर के के कोने में बैठी इन सब चर्चाओं से दूर , रो- रो कर उनके आँखों के पानी भी जैसे सूख गए हों , गला भी सूख गया हो ऐसा जान पड़ता था | ना तो करूण विलाप की आवाजें ना ही आंसुओं की धारा | लग रहा था जैसे जड़ हो चुकी हो | बस हलके से हिलते हुए होठ इतना ही बयान कर पा रहे थे , “मेरे जाने से पहले ही तुम क्यों चले गए, अब मेरा क्या होगा, किससे लड़ूंगी, किसे अपनी बातें सुनाऊँगी |” उनकी दशा देख कुछ पुरानी यादें जैसे ताजी हो चली | ऐसे जीवंत इंसान , जहाँ भी जाते थे शमा बांध जाती थी | बुजुर्ग हो या बालक , सभी उनकी अदाओं के कायल थे | हर तरफ उनका सम्मान होता था | 'माताजी' यानी 'बाबाजी' की पत्नी भी जैसे करुणामयी की रूप हों | धार में बहले ही कितना भी अभाव हो , लेकिन हर आगंतुक की सेवा को सदा तत्पर रहती थी | कोई भी ऐसा व्रत -त्यौहार नहीं था जिसे मनाते ना रहे हों | ईश्वर भी ना जाने क्या क्या करता है | यह तो सत्य था बाबाजी के जाने के बाद माताजी की दशा के बारे में सोच पाना भी असहज बना देता था | जैसे तैसे समस्त तैयारी के बाद बाबाजी का अंतिम संस्कार किया गया | चर्चाओं से जैसा जाहिर था, भतीजे चाह कर भी मुखाग्नि ना दे सके | प्रमाण के रूप में समस्त घटनाक्रम का फोटोग्राफी किया गया | सब कुछ समाप्त होने के बाद मेहमान अपने घर चले गए , पड़ोसी अपनी दुनिया में खो गए | कुछ दिनों के बाद मैं माताजी से मिलने उनके घर गया | बाहर चारपाई पर कंकाल के रूप में एक महिला को बैठा देखा | वक्की पहचान नहीं पाया कि ये वही माताजी हैं जिनसे मिलते ही मुस्कराहट और मिश्रित बातों की झड़ी ऐसी लग जाती थी कि समय का बीतना पता ही नहीं चलता था | मैं पास गया और उनसे हाल पूछा | करुण क्रंदन के साथ उन्होंने शुरू किया ,”बेटा देखो कैसे धोखा देकर चले गए | बोला करते थे कि तुम्हारा अंतिम संस्कार किये बिना इस दुनिया से नहीं जाऊंगा | सदा सुहागन रहने के लिए मैंने क्या-क्या नही किया | जिसने जो भी सिखाया वही सब पूजा पाठ किया | पर अंत में इतना धोखेबाज निकलेगा मैंने सोचा भी न था | देखो अकेले छोड़ कर खुद निकल लिए |क्या बिगाड़ा था मैंने उनका या फिर भगवान का |” उन्होंने खाना- पीना सब छोड़ दिया था | तीन-तीन दिन बीत जाता था , लेकिन कुछ खाना नहीं चाहती थी | समय के साथ- साथ आग्रह कर खिलाने वाला भी कोई ना था | सब अपनी दुनिया में मस्त थे | अब बेचारी बुढ़िया के लिए वक्त था भी किसके पास | जिसे जो लेना था , जिसे जो मिलना था वह सब तो अब ख़त्म हो चुका था | फिर मतलब क्या था | बस एक लोकलाज था जिसक कारण लोग उनको ढो रहे थे | मैंने बहुत आग्रह किया , चलो मेरे हाथ से एक रोटी ही खा लीजिये | अनुनय- विनय के बाद थोड़ी सी रोटी खा सकी | अब तो बस एक ही रट थी | बेटा तुम्हारे बाबा बुला रहे हैं , बहुत कष्ट में है , मुझे जाना होगा | बस इस धारा का भोग कुछ ही दिन और लिखा है | मैंने बहुत समझाना चाहा कि फिर से जीवन को सवाँरे | अपना मन हम सब में लगाये | पर एक ही धुन थी | उनके बाद अब और कुछ नहीं , बस अब जाना है बेटा | और फिर कुछ दिन के बाद एक खबर आयी | माताजी चल बसी | फिर से वही भावनाओं का ड्रामा चला होगा | अपने अनुसार सबने उनके जाने पर दुःख व्यक्त किया होगा , पर मुझे लगा जैसे सपने में आ कर कह रही हों, “बेटा मैं चली उनके पास , अब जाकर चैन आया है |” उन दोनों जनो के जाने के बाद एक शून्य का अहसास तो होता है , पर लगता है जैसे माताजी मई मृत्यु नहीं , उन्हें एक नया जीवन मिल गया है | _
रेणु

रेणु

मार्मिक कहानी --

1 मार्च 2017

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बंगाल की मूर्ति कला       बंगालप्रवास के दौरान मैंने एक चीज देखा । यहाँ के लोग प्रखर बुद्धि के तो होते ही हैं , साथ ही कला केक्षेत्र से भी इनका विशेष लगाव होता है । हर घर में लोग किसी ना किसी प्रकार कीकला का प्रशिक्षण लेते हुए देखे जा सकते हैं , चाहे वह गीत-संगीत का होया फिर वास्तु एवं चित्रकला का ह

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5 जनवरी 2016
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हिंगलिश होती हिन्दी - भारत के हिंदी मिडिया के हिंगलिश भाषा पर चीन के गुवंग दाओ विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा टिप्पणी

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एक दिन फुटपाथ के साथ

5 जुलाई 2016
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5 अक्टूबर 2016
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कुंग – आई -ची (KUNG I-CHI)(लु-सुन)अनुवाद – बिनय कुमार शुक्ल लुसेन में शराब के दूकान चीन के अन्य हिस्से के समान नहीं है | उन सबमें समकोड़ीय काउंटर हैं जिनका प्रवेशद्वार गली की तरफ होता है तथा शराब गरम करने के लिए गर्म पानी रखा जाता है | दोपहर में काम से फारिग होने के बाद शाम को लोग एक प्याला शराब खरी

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*ढाकी*(ढाक एक विशेष प्रकार का ढोल है जिसे बंगाल असम में पूजा,त्योहारों में बजाया जाता है)शारदोत्सव का त्योहार आ रहा था। पिछले 15 दिनों से वह अपने बेटे और ढाक को तैयार कर रहा था। पूरे साल इंतजार के बाद बस यही तो मौसम आता है जब कुछ कमाई हो जाती हैं । बदलते मौसम के कारण अब किसान को खेती से तो कुछ मिलता

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चीन से हिंदी की प्रथम साहित्यिक पत्रिका इंदु संचेतना का प्रकाशन

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चीन के ग्वांगझू विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग से इंदु संचेतना नामक त्रैमासिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका का सतत प्रकाशन किया जा रहा है।यह पत्रिका डॉक्टर गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर' जी के मार्गदर्शन में प्रकाशित हो रही है ।इस पत्रिका के संपादक एवं तकनीकी सलाहकार के रूप में जुड़ना मेरे लिए अपार हर्ष

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तुम्हारे बाद

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भारतीय परिदृश्य में आधुनिक जीवनशैली के विकार : संकलनकर्ता श्री नरेंद्र मिश्र, वरिष्ठ अनुवादक, कर्मचारी राज्य बीमा निगम

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अच्छा स्वास्थय एवं अच्छा समय जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान है! जल्दी सोना और जल्दी उठना मनुष्य को सवस्थ, धनवान और बुद्धिमान बनाता है! भले ये हमारे पुराने सिद्धांत रहे हो लेकिन यह भी सच है कि आज की बदलती जीवनशैली में भी पुरानी इस तरह की कहावते अच्छे सवस्थ जीवन के लिए बहुत

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मेरे ब्लॉग

20 नवम्बर 2016
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मेरे ब्लॉग इस कड़ी पर पढ़ सकते हैं सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। यह कान्यकुब्ज ब्राह्मणो कि शाखा है। श्रीराम ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ करवाकर उन्हे सरयु पार स्थ

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माँ अब मैं बड़ी हो रही हूँ

31 दिसम्बर 2016
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एक डॉक्टर की फ़रियाद (डॉ. सुभेंदु बाग़ की मूल बंगाल कहानी से अनुवाद)

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उस समय रात के साढे बारह बज रहा था | सांस की तकलीफ के इलाज के लिए घंटा भर पहले परिमल बाबू एक सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए थे |उनके साथ लगभग 15 शुभचिंतक भी अस्पताल आये थे | सब लोग बेचैन थे | डॉक्टर द्वारा उनका इलाज प्रारम्भ किया गया | इंजेक्शन दिया गया , नेबुलाइजर चैल

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लघु कथा*और भूत भाग गया*

19 फरवरी 2017
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जुमानी की माँ बहुत दुखी थी,पति कैंसर से मर गए। एक बेटा और बेटी सर्प दंश से काल कलवित हो गए। एक बेटी बची थी,वह भी अर्ध विक्षिप्त रहती थी। गांव वालो के अनुसार उनके घर पर ब्रह्मराक्षस का साया था। एक दिन पडोसी के दामाद से भेंट हुई,उनहोंने सुन रखा था कि दामादजी का बड़े बड़े तांत

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दहशत

19 फरवरी 2017
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आज पूरा शहर दहशत में है | हर तरफ आशंकाओं का माहौल | सभी डरे हुए अपने घरों में दुबके हुए हैं | कोई किसी से बात करने के लिए तैयार नहीं | अफवाहों का माहौल गरम है | हर मिनट नई नई खबर आ रही है | कभी यह खबर आती कि बाहर से हजारों की संख्या में जेहादी आक्रमण के लिए चल पड़े हैं , तो कभी खबर आती कि आज शाम

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इंदुसंचेतना मार्च 2017

12 मार्च 2017
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चीन से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका इंदुसंचेतना का नवीनतम अंक https://drive.google.com/file/d/0B8uhA2a0ZiVHNnl1SGdsVGZaenc/view?usp=sharing indusanchetana-final-march.pdf - Google Drive

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आलेख हेतु निवेदन

14 मई 2017
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चीन के एक विश्वविद्यालय से प्रकाशित होने वाली एकमात्र हिन्दी पत्रिका इन्दु संचेतना के बाल कथा विशेषांक के लिए रचनाएँ आमंत्रित हैं।कृपया अपनी रचना दिनांक 20मई2017 तक indusanchetana@gmail.com पर भेज कर हिन्दी के वैश्विक प्रचार में सहयोग करें ।

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सरकारी दलित :व्यंग्य

4 जनवरी 2018
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*व्यंग्य: सरकारी दलित*बारिश प्रचंड वेग पर थी।सरकार के तरफ से यह मुनादी फिरा दी गई कि नदी के किनारे बसे लोग कहीं सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं, बाढ़ आने की आशंका है,जान माल का नुकसान हो सकता है।कुछ लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए, जिनका कोई न था वे बेचारे इधर उधर होकर रह गए।सचमुच बाढ़ आ गई।काफी तबाही हुई

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माननीय प्रधानमंत्री जी

17 जनवरी 2018
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माननीय प्रधानमन्त्री महोदय, मैं आपके शासनकाल में देश को विकास की ओर अग्रसर करने वाली योजनाओं के लिए ह्रदय से आभारी हूँ | एक भूतपूर्व सैनिक होने के नाते कुछ ऐसी बातें हैं जिनपर कोई साकारात्मक सहयोग हो इस आशा से कुछ बिंदु आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ :-1. शिक्षा के क्षेत्र में विसंगतियों :- यूँ त

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और उसने रिश्वत नहीं दी ….......

17 दिसम्बर 2019
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मंटूबड़ा खुश था । प्राइमरी में टीचर लगे उसेअभी साल भर भी नहीं हुआ था कि सरकार द्वारा प्रायोजित डी-एड पाठ्यक्रम के लिए उसकानामांकन हो गया । प्राइमरी स्तर के बालकों कोपढ़ाने के लिए डी-एडकी पढाई काफी महत्वपूर्ण है । समय परसमस्त शिक्षक सेंटर पहुँच गए । पाठ्यक्रमप

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मैं अक्सर हार जाता हूँ-भाग-1

28 जुलाई 2020
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परसों किसी सज्जन ने मुझे व्हाट्सएप पर संदेश दियाWhy Job ??? When U can own ur Business..........Let's learn 2 *EARN* कुछ नया व्यापार,सपनों की हर बात हासिल करने की शायद राह दिखाना चाह रहे थे। मैं भी उत्साहित था कि कुछ नया करने का मौका है।और फिर उन्होंने मुझे फोन किया।औपचारिक बातचीत के बाद उन्होंने म

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शब्दों का जादू

7 सितम्बर 2021
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<p>भाषाओँ के बारे में एक बात प्रचलित है कि जिन भाषाओँ में समय सापेक्ष परिवर्तन नहीं हुआ वे भाषाएं या

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ऑफिस डेस्क से समाधि तक

21 अक्टूबर 2022
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अपने डेस्क से बगल वाले डेस्क पर झांक कर देखा। कुर्सी पर बैठे बाबू बीच बीच में लंबी सांसे ले रहे थे,कभी सिर खुजाते कभी सिर रगड़ते और फिर लंबी सांसे लेने लगते।ऐसा लग रहा था मानो दर्द से उनका सिर फट रहा

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