मंटू
बड़ा खुश था । प्राइमरी में टीचर लगे उसे
अभी साल भर भी नहीं हुआ था कि सरकार द्वारा प्रायोजित डी-एड पाठ्यक्रम के लिए उसका
नामांकन हो गया । प्राइमरी स्तर के बालकों को
पढ़ाने के लिए डी-एड
की पढाई काफी महत्वपूर्ण है । समय पर
समस्त शिक्षक सेंटर पहुँच गए । पाठ्यक्रम
प्रारम्भ हो गया। रोज ही विभिन्न प्रकार
के लेसन प्लान और चार्ट बनाने की आवश्यकता पड़ती । धीरे धीरे समय बीतने लगा और प्रथम वर्ष की
परीक्षा की तारीख की घोषणा कर दी गयी । सभी
पूरी तयारी में लग गए । एक दिन अचानक
सेंटर के प्रिंसिपल ने सभी प्रशिक्षुओं को अपने कमरे में बुला भेजा । आने के बाद उन्होंने बताया कि बाहर से परीक्षक
आएंगे । उनके खाने पीने एवं आने जाने के
खर्चे के लिए समस्त छात्र ढाई सौ रुपया करके जमा करवा दें । समस्त छात्रों ने रुपया जमा करवा दिया । बस उनमें से एक ने नहीं जमा किया । परीक्षक आये, लेसन प्लान देखा और फिर चले
गए ।
एक
दिन प्रिंसिपल ने पुनः सभी छात्रों को इकठ्ठा किया और कहा कि परीक्षा में पास करने
के लिए सभी छात्र ढाई हजार रूपया के दर से जमा करवा दें । कुछ छात्रों ने विरोध किया । उन्हें इस सुविधाशुल्क के आवश्यकता के बारे में
बता दिया गया । वो राजी हो गए । कौन भला ऐसा होगा जो फेल करना चाहेगा। वह भी तब जब मात्र ढाई हजार रूपये की दक्षिणा
देने से ही पास होना सुनिश्चित हो तो । पर
उसने इस बार भी पैसा जमा नहीं किया । उसके
ऊपर दबाव बनाया जाने लगा । प्रिंसिपल ने
उसे बुलाकर धमकी तक दे डाला की पैसे नहीं दिए तो फेल हो जाओगे पर वह अडिग रहा । बढ़ते बढ़ते उसके हठ की बात उसके सहपाठियों तक
पहुंची । प्रिंसिपल के कमरे से निकल कर वह
कक्षा में आया । यहाँ सहपाठियों ने भी उसे
आड़े हाथों लिया और धमकाना शुरू कर दिया । वह
फिर भी नहीं माना । फलतः समस्त छात्रों ने
उसे धक्का मारकर क्लास के बाहर निकाल दिया । वह बेचारा चुपचाप क्लास के बाहर आकर एक कोने में
चुपचाप खड़ा हो गया । मंटू उसके पास आया । उसे समझाते हुए बोला, 'क्यों नहीं दे देते हो तुम
भी,
इससे
कम-से-कम पास होने की
गारंटी तो हो जाएगी । '
उसने
कहा,
'देखो
यार,यदि मुझे इस प्रकार
से रिश्वत ही देना होता तो आज मैं प्राइमरी टीचर नहीं होता बल्कि किसी और ओहदे पर
होता । पर जो मैं नहीं करना चाहता वह नहीं
करूँगा । क्या हुआ अगर मेरी मेहनत के बाद
भी यदि मुझे फेल कर दिया जाता है तो? एक साल और पढूंगा । कुछ दिन और सही । पर एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है । रिश्वत प्रिंसिपल ने माँगा, लाभ उसे मिलेगा । फिर इन छात्रों का क्या बिगड़ रहा है जो उन्होंने
मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया । उन्हें क्या
लाभ मिलने वाला है? क्या ये अभी से ही प्रिंसिपल के जैसे हो गए हैं ?'
मंटू
भी यही सोचता रहा कि छात्रों ने उसे धक्का देकर क्यों निकाला ।