जब टाइम्स हायर एजुकेशन( जो लगभग 1,000 वैश्विक संस्थानों को रेट करती है) ने मई में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी की थी तो इसमें एक भी भारतीय संस्थान शीर्ष 100 में शामिल नहीं थी, हालांकि भारतीय विज्ञान संस्थान ने इसमें सात साल बाद प्रतिष्ठित रैंकिंग में जगह बनाया था।
वैश्विक सूचकांक में भारत की खराब रैंकिंग ने उच्च शिक्षा में संकट की बढ़ती भावना को मजबूत किया, जो राष्ट्रीय शर्म की बात बन गई। संघीय सरकार द्वारा इस स्थिति में सुधार लाने केलिए नीतियों में बदलाव और वित्त पोषण में सुधार किया जा रहा है।
हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दूरगामी परिणामों के साथ इन वैश्विक रैंकिंग, मात्रा पर गुणवत्ता को जोर देने पर विचार करते हुए तीन नीतिगत निर्णय लिए।
केन्द्रीय सरकार ने कुछ भारतीय विश्वविद्यालयों को “प्रतिष्ठत संस्थान” के रूप में नामित करने का फैसला किया। इससे 60 अन्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को “स्वायत्तता” प्रदान की। साथ ही भारत के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग...और पढ़ें