हवा,पानी,मिट्टी व पेड़ पौधे हमे प्रकृति से मुफ्त में मिली है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। हवा जरूरी है हम आक्सीजन से जीवित है जो हवा में समाया हुआ है।किसी अन्य ग्रह में नही है इक्कीस प्रतिशत की उपलब्धता को बनाए रखना हमारी-आपकी जिम्मेदारी होगी। हमने इतने वाहन निर्माण कर लिए है कारख़ाने से निकलते धुआँ, खेत खलिहानों का धुआँ ;सबसे गम्भीर मुद्दा प्लास्टिक कचरे को जलाने पर विषैले गैस का निकलना प्राण वायु को दूषित कर रहा है ।
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जल है तो कल है। इस पृथ्वी पर अधिक मात्रा में जल तो है लेकिन 2-3 प्रतिशत ही उपयोग करने के लिए उपलब्ध है। अपशिष्ट पदार्थों रासायनिक उर्वरकों से नदी तालाब विषैला हो रहे है।ऐसे में पारिस्थितिक तंत्र बिगडेगा इसका असर जीव जंतुओं पर भी होगा।
मिट्टी से भोजन की आवश्यकता दुर करते हैं । रासायनिक खाद और कीटनाशकों से पोषक तत्वों में कमी आई है। नगरीकरण से कृषि भूमि में भी कमी आई है।
पेड़ पौधे की कटाई जोरो से चल रही है ।फ्लेट जो बन रहे है।छोटे-छोटे कस्बे बड़े बड़े शहरों का रूप ले रहे है।व्यवसायिक परिसरो ने भी अपना पैर पसार लिया है।
प्राकृतिक संसाधनों को हमने अब तक दुरुपयोग किया है।उससे लिया लेकिन दिया नही।प्रकृति असंतुलित होने पर वह खुद सन्तुलन रखती है । अत्यधिक बाढ़ सूखा,भूकम्प और सुनामी ,भू-स्खलन इसके परिणाम है।
जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है। भूस्खलन (landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भूस्खलन किन कारणों से होता है? भूस्खलन मानवीय और प्राकृतिक कारकों के कारण हो सकता है। प्राकृतिक कारकों में लिथोलॉजी, संरचना, ढलान, भूमि कवर, भूकंपीयता और वर्षा की वर्षा शामिल हो सकती है, जबकि मानव कारकों में वनों की कटाई, अनुचित भूमि उपयोग और अनियोजित गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। लगभग 395 गाँव जोशीमठ में है जो 12 जिलो में विस्तृत है।जोशीमठ, उत्तराखंड को 08 जनवरी, 2022 को भूस्खलन एवं अवतलन प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया था।610 घरो में दरारे आने के कारण 68 परिवारो को अन्य जगह शिफ्ट किया है।
वहाँ जमीनी सरंचना अलग है मिट्टी रेतीली व धसने वाली है।हमे इन जगहों पर सजग रहना चाहिए।प्रशासन की बातो को अमल में लाना चाहिए ।