बसन्त पंचमी का आना
ऐसा एक सन्देश फहराना
जीवन-मृत्यु है ताना बाना
इधर पतझड़ है और नवरूप आगमन
हाथ से जीवन का छूटना
और फिर जीवन पाना।
दो राहो के बीच ठहराव
कुछ पल का मेहमान
केवल मृत्यु अन्त नही
एक नये जीवन की है शुरुआत
पेड़ की परिवार बिखर रहे
नये को जगह दे रहे
जाने क्या-क्या मान बैठे
घर परिवार अपना जान बैठे
भ्रम तोड़ता ऋतुराज अपना
कुछ नही अपना यहाँ
कुछ पल का सपना जहाँ
रात बसर भर करनी है
सुबह उड़ जाना है ।
रात जैसे पीले पत्ते
बीज फुटा था वही
गिरते और समा जाते
एक मौका और दिया
अपना दिया जला लेना
दो राहो के बीच
सुख दुख मना लेना
श्रम विश्राम कर लेना।
ये बसंत बड़ा प्यारा है,
अपना राज दुलारा है,
फुलो का ग्वाला है,
मादकता मतवाला है,
हसी खुशी गुजार लेना,
जरा प्रज्ञा जगा लेना,
इस यात्रा से छुटकारा पा लेना,
उस दिव्य रूप को संवार लेना।