संसार के समस्त प्राणियो का पहले जन्म होता है बचपन से शुरु होकर जवानी फिर बुढापा आता है । बचपन में हम केवल अपने को सम्भालते हैं हम दूसरो पर निर्भर रहते हैं ।अगले स्टेप में हम सोचने समझने व विचार व्यक्त करते है । हम युवा कहलाने लगते है युवकों में ऊर्जा का संचार तेज रहता है उस ऊर्जा का उपयोग स्वयं को बदलने के लिए समाज को बदलने के लिए कर सकता है । यदि उसकी ऊर्जा को सकारात्मक रास्ते की तरफ ले जाया जाय तो बहुत बड़ी क्रान्ति होती है वह स्वयं को बदलने लगता है।परिवार व समाज आंदोलित हो उठता है जिसका प्रभाव देश राष्ट्र पर पड़ता है।
आज राष्ट्रीय युवा दिवस है जिसका आधार स्वामी विवेकानंद है।1984 को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस किया और 12 जनवरी 1985 से प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है ।भारत एव विदेशो में अध्यात्मिक दर्शन से लोगो को अवगत कराने में विवेकानंद का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मृत है वे लोग जो विचार नही कर पाते है।जो केवल शरीर का ही जीवन जीते है।शरीर जन्मता है बढ़ता जाता है अन्त में बुढापा में शरीर मर जाता है।ये तो जानवर भी करता है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा है " तुच्छ वस्तुओं के लिए कभी प्रार्थना ना करें। यदि आप केवल शारीरिक आराम की ही आकांक्षा करते हो तो पशु और मनुष्य में क्या अंतर है।"चूंकि हम मनुष्य है और सभी प्राणियो में श्रेष्ठ है हमारे पास सोचने को बुद्धि है हमे शरीर से ऊपर उठना है। पाशविक से ऊपर उठना।
आजकल युवा वर्ग अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते हैं । अपने भविष्य के लिए पहले से सोचना विचारना ठीक है लेकिन उसके उद्देश्यों लक्ष्यो पर नजर डाले तो युवा नौकरी बिजनेस फैशन आदि तक ही सीमित है ।पैसा कैसे कमाए यही कारण ज्यादा दिखता है। हमारी शिक्षा सर्टिफ़िकेट व डिप्लोमा प्रदान करना जनता है ।हम अपने को कैसे जाने अपने अन्दर कैसे प्रवेश करे ।हम कौन है कहाँ से आए है ये हम अपने मृत्यु तक नहीं जान पाते।हमारी शिक्षा इस विषय पर मौन व पंगु है। एक व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण करते करते पच्चीस वर्ष पूर्ण हो चुके होते है। पच्चीस वर्ष का युवा पूछने पर कहता है मै सब कुछ जान चुका हूँ ।भले ही वह संसार के बारे में सब कुछ जनता है लेकिन अपने बारे में कुछ नही जानता वह जीवन जो जी चुका बेहोशी में जिया।ऐसे में मानव का उत्थान कैसे होगा।
स्वामी विवेकानंद के अनुसार " दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।"युवा वर्ग को जरूर चिन्तन करना चाहिए विचार करना चाहिए।हर वो विषय जो उसके जीवन में आए उस पर अमल करे ।जिसको हम जीवन कहते है वो हमारी भूल होगी नही तो उदासी कैसी।इतनी महत्वकांक्षाए ईर्ष्या द्वेष कैसी? हमारे जीने में कही भूल हो रही है।अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और है।कही हम दिखावा तो नही कर रहे है।एक युवा में सत्य, ईमानदारी, विनम्रता व ध्यानी का गुण होना चाहिए ।
राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवको को स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा लेनी चाहिए कैसे वो सत्य का प्यासा था। कैसे सही गुरु को खोज लिया व उससे समाधि की झलक पाया।