आजादी की लड़ाई में कई लोगो ने भाग लिया था। कुछ शान्ति से देश को आजाद कराना चाहते थे तो कुछ लड़ाई लड़कर।बातचीत पर विश्वास करने वाले नरम दल के नेता कहलाए जो हिंसक पथ अपनाए वो गरम दल के नेता कहलाए। सभी ने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था । इन क्रांतिकारियो में एक नेता थे सुभाषचंद्र बोस ।
23 जनवरी को भारत सरकार पराक्रम दिवस के रूप मनाता है। यह नेताजी सुभाषचंद्र बोस के यादगार में मनाया जाता है।23 जनवरी सन 1897 को ओडिशा के कटक में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस व माता प्रभावती थी।
नेताजी ने सिविल सर्विस परीक्षा उतीर्ण की थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने पर उसने अपना पद छोड़ दिया।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए । उसी समय गांधीजी से उसका सामना हुआ। गांधीजी एक उदारवादी नेता थे जबकि नेता जी उग्र क्रांतिकारी थे।कभी-कभी दोनो के विचार नहीं मिलते थे।उस समय गांधीजी को क्रांति सेना की आवश्यकता थी।
भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना करते हुए आजाद हिन्द फौज की गठन किया।"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" उनका प्रमुख नारा था। कई बार जेल भी गए विदेशो से सहायता माँगने भ्रमण भी किए।भगवत गीता में उनका आस्था व विश्वास था।
उनकी मृत्यु आज भी रहस्यमय है। उसको किसी की गोली लगते या अंग्रेजो का शिकार होते किसी ने नही देखा था।नेताजी की लाश भी बरामदा नही की गई है।
18 अगस्त 1945 को ताईपेई में हुई एक विमान दुर्घटना से लापता है । कई लोग उसी में नेताजी सफर कर रहे थे ऐसा मानते है।घटना को लेकर तीन जांच कमेटी गठित की गई है। प्रधान-मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में सौ गोपनीय फाइल को सार्वजनिक भी किया है।
जब कोई हिंसक व मृत्यु घटनाएँ घटती है तो कई लोगो का हृदय परिवर्तन हो जाता है ।सम्राट अशोक ने कलिंग युद्घ के बाद बौद्ध धर्म अपनाया व उसका प्रचार प्रसार भी किया।युध्द से आज तक नुकसान ही हुआ उससे कोई हल नही निकलता। जब तक पृथ्वी को एक नही मानते हैं तब तक देश की सीमाओ में युध्द होते रहेंगे। अब तो अणुबम है जो सारे मनुष्य का खात्मा कर सकता है कही युध्द पर जाने की जरुरत नही। ओसामा बिन लादेन एक उदहारण है जिससे एक व्यक्ति क्या कर सकता है कितना नुकसान हो सकता है ।मनुष्य की मानसिकता को बदलना होगा तभी उसे स्व दिशा देना होगा।